आयुर्वेदिक औषधियों के उपयोग से अपना इलाज खुद घर बैठे करें

आयुर्वेद में सभी रोगों का इलाज है। विभिन्न प्रकार की जड़ी-बूटियों के सेवन से जटिल रोगों को भी आसानी से समाप्त किया जा सकता है। लगभग हर बीमारी में घरेलू रूप से इनका सेवन करने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है साथ ही जड़ी बूटियों का कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता है। हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक इस मौसम में सभी लोगों को अपने खान-पान पर खास ध्यान देने की जरूरत है। काढ़े, औषधि और कई प्रकार की जड़ी-बूटियों का सेवन शरीर को आंतरिक गर्मी प्रदान कर रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। इसके अलावा किसी भी आहार, योग और किसी आयुर्वेदिक औषधि का सेवन अपने अनुसार नहीं करना चाहिए। इसके लिए आपको किसी विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए। कई संस्थाएं आयुर्वेदिक तरीके से इसका इलाज कर रही हैं और लोग उनकी दवाओं से ठीक भी हो रहे हैं। ऐसी ही एक संस्था है नवग्रह आश्रम। भीलवाड़ा जिले के रायला गांव के पास मोती बोर का खेड़ा स्थित नवग्रह आश्रम कैंसर सहित कई बीमारियों के इलाज के लिए विश्व प्रसिद्ध है।

1.गाजर का घरेलू उपयोग

ऐसा कोई पोषक तत्व नहीं है जो गाजर में नहीं पाया जाता है। इसलिए गाजर को सर्दियों का सुपरफूड कहा जाता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो फ्री रेडिकल्स से बचाते हैं।
→गाजर में विटामिन ए भरपूर मात्रा में पाया जाता है। खून में आयरन की कमी के कारण लाल रक्त कणिकाओं का निर्माण नहीं हो पाता है, जो एनीमिया का कारण होता है। गाजर को कद्दूकस करके दूध में उबालकर खीर की तरह खाने से दिल को ताकत मिलती है, खून की कमी दूर होती है।
→हड्डियों का स्वास्थ्य पूरी तरह से व्यक्ति की जीवनशैली पर निर्भर करता है। गाजर को नियमित रूप से सलाद, आचार,सब्जी या जूस के रूप में भोजन में शामिल करने पर हड्डियों में कैल्शियम और अन्य खनिजों की मात्रा में बढ़ोतरी होती है।
→गाजर में भरपूर मात्रा में फाइबर होता है, जो शरीर की पाचन शक्ति को बढ़ाता है।
→गाजर का जूस बीटा कैरोटीन से भरपूर होता है। ये तनाव कम करने में मददगार साबित होते हैं।

2. लहसुन का घरेलू उपयोग

लहसुन एक प्राकृतिक एंटीबायोटिक के रूप में कार्य करता है। लहसुन शरीर में होने वाली कई बीमारियों जैसे बवासीर, कब्ज और कान दर्द आदि को दूर करने में मदद करता है। आइए जानते हैं खाली पेट लहसुन खाने के चमत्कारी फायदों के बारे में। बवासीर और कब्ज जैसी बीमारियों के लिए लहसुन का इस्तेमाल सबसे अच्छा इलाज है।
आप को बता दें एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की वेबसाइट पर प्रकाशित शोध के मुताबिक लहसुन एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल और एंटी-वायरल गुणों से भरपूर होता है।
→लहसुन में मौजूद फाइबर्स कब्ज और पेट दर्द की प्रॉब्लम दूर करते हैं। इससे कमजोरी दूर होती है। बॉडी को एनर्जी मिलती है। लहसुन में पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम होता है। इससे हड्डियां मजबूत होती हैं।
→रोजाना लहसुन की कुछ कलियां खाने से ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है। जिन लोगों को ब्लड प्रेशर की समस्या रहती है उनके लिए लहसुन बहुत फायदेमंद माना जाता है।

3. करेले के घरेलू उपयोग

करेले की सब्जी,आचार और जूस सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। करेले की सब्जी भले ही सभी लोग कड़वे होने के कारण नहीं खाते हैं, लेकिन उन्हें इसके फायदे की जानकारी जरूर होनी चाहिए। आमतौर पर लोग सिर्फ यह जानते हैं कि करेले से मधुमेह में फायदा होता है, लेकिन सच तो यह है कि करेले के सेवन से आप कई बीमारियों को भी ठीक कर सकते हैं।
→पूरी दुनिया में बहुत से लोग मधुमेह से पीड़ित हैं। करेला मधुमेह में लाभकारी होता है। करेले को सुखाकर बारीक चूर्ण बना लें। इसे 3-6 ग्राम पानी या शहद के साथ लें। यह मधुमेह में लाभदायक है। यह अग्न्याशय को स्वस्थ बनाकर इंसुलिन के उत्पादन को सही करने में मदद करता है।
→करेले के ताजे फलों के रस में कई पोषक तत्व होते हैं। पीलिया से पीड़ित लोग करेले के सेवन से लाभ उठा सकते हैं। करेले के पत्तों के रस को पीने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
→जो लोग अधिक शराब का सेवन करते हैं, और इससे होने वाली बीमारी से परेशान रहते हैं। उन लोगों को 15-20 मिलीलीटर करेले के पत्तों का रस छाछ के साथ लेना चाहिए। अधिक शराब पीने से होने वाले लीवर की बीमारी में लाभ होता है।

इसके अतिरिक्त पाठक अधिक जानकारी के लिए श्री नवग्रह आश्रम, मोती बोर का खेड़ा, रायला, जिला भीलवाड़ा सम्पर्क कर सकते हैं। श्री नवग्रह आश्रम आयुर्वेदिक पद्धति से कैंसर उपचार की अग्रणी संस्था है। श्री नवग्रह आश्रम अब तक विभिन्न बीमारियों के 55 हज़ार से अधिक रोगियों को आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति ठीक कर चुका है।

अधिक जानकारी के लिए सम्पर्क करें +91 84484 49569

आयुर्वेदिक औषधियों के प्रकार, गुण और उनके लाभ

सर्दी के इस मौसम में सेहत का ख्याल रखना बेहद जरूरी हो जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि इस मौसम में कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। कमजोर इम्युनिटी वाले लोग मौसम बदलते ही सर्दी-जुकाम और कई अन्य बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। ऐसी समस्याओं से बचने के लिए लोगों को विशेष स्वास्थ्य देखभाल की जरूरत है। हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक इस मौसम में सभी लोगों को अपने खान-पान पर खास ध्यान देने की जरूरत है। काढ़े, औषधि और कई प्रकार की जड़ी-बूटियों का सेवन शरीर को आंतरिक गर्मी प्रदान कर रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
इसके अलावा किसी भी आहार, योग और किसी आयुर्वेदिक औषधि का सेवन अपने अनुसार नहीं करना चाहिए। इसके लिए आपको किसी विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए। कई संस्थाएं आयुर्वेदिक तरीके से इसका इलाज कर रही हैं और लोग उनकी दवाओं से ठीक भी हो रहे हैं। ऐसी ही एक संस्था है नवग्रह आश्रम। भीलवाड़ा जिले के रायला गांव के पास मोती बोर का खेड़ा स्थित नवग्रह आश्रम कैंसर सहित कई बीमारियों के इलाज के लिए विश्व प्रसिद्ध है।

1. बिजोरा नींबू

बिजोड़ा नींबू का पेड़ सामान्य नींबू के पेड़ के समान होता है। इसकी शाखाएं पतली और आपस में गुंथी हुई होती हैं। पत्तियाँ थोड़ी लंबी,चौड़ी और रंग हरा होता है। इसके पत्ते, फल, फूल और छाल का व्यापक रूप से चिकित्सा में उपयोग किया जाता है। बिजोरा फल का छिलका बहुत खुरदरा होता है। आप इसकी तुलना संतरे और साइट्रस की आंतरिक कला से आसानी से कर सकते हैं।
इसके पके बीज स्वाद में मीठे और खट्टे, गर्म, पचने में आसान, स्वादिष्ट, सुपाच्य और स्वादिष्ट, जीभ, गले और हृदय को शुद्ध और स्फूर्तिदायक होते हैं। यह अपच, कब्ज, सांस की तकलीफ, पेट फूलना, खांसी, एनोरेक्सिया और पेट के दर्द को ठीक करता है। साथ ही बिजोरा के बीज स्वाद में कड़वे, गर्म, पाचन में भारी, उपजाऊ और स्फूर्तिदायक होते हैं।

→नींबू बिजौरा का औषधीय गुण पेट के कीड़ों को दूर करने में बहुत अच्छा काम करता है।
→बिजौरा नींबू के बीज का चूर्ण 5-10 ग्राम गर्म पानी के साथ देने से पेट के कीड़े खत्म हो जाते हैं। ऐसा होता है।
→फलों के छिलकों का काढ़ा बनाकर सेवन करने से पेट के कीड़ों के दर्द में आराम मिलता है।

2. बेर (छोटा एप्पल)

कच्चे हरे रंग का फल बेर, शरीर में कॉपर की कमी से हड्डी संबंधी समस्या और खासकर कमजोर हड्डियों को ठीक करने में कारगर है। साथ ही बेर में कैल्शियम और फास्फोरस भी होते हैं जो हड्डियों के निर्माण और स्वास्थ्य के लिए जरूरी माना जाता है।
बेर के स्वास्थ्य परीक्षण में पाया गया है कि बेरी के अर्क में कई गुण होते हैं जो शरीर में रक्त परिसंचरण को बढ़ा सकते हैं। साथ ही इसमें पाया जाने वाला नाइट्रिक ऑक्साइड रक्त प्रवाह और रक्तचाप को नियंत्रित कर सकता है। इसके लिए आप सूखे या ताजे बेरी दोनों तरह से खा सकते हैं।
सर्दियों में रोजाना बेर का सेवन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। दरअसल, बेर में विटामिन सी के अलावा विटामिन बी12 और विटामिन ए भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। साथ ही इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने में मदद करते हैं।

3. अश्वगंधा

क्या आप जानते हैं कि अश्वगंधा का इस्तेमाल मोटापा कम करने और ताकत बढ़ाने के लिए किया जाता है। इसके अलावा अश्वगंधा के और भी फायदे हैं।

  • शरीर का तनाव कम करें – शरीर के तनाव को कम करने के लिए अश्वगंधा काफी कारगर औषधि मानी जाती है।
  • गठिया के लक्षणों से राहत – अश्वगंधा में एंटी-इंफ्लेमेटरी और दर्द निवारक दोनों गुण होते हैं, जो गठिया के लक्षणों से निपटने में काफी मदद कर सकते हैं।
  • दिल को रखें स्वस्थ – अश्वगंधा के कई स्वास्थ्य लाभ हैं, जो हाई बीपी और खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करते हैं।
  • अश्वगंधा का नियमित रूप से सेवन करने से दिल को स्वस्थ रखने में मदद मिल सकती है।
  • मधुमेह के लक्षणों को कम करें – कुछ अध्ययनों में यह पाया गया है कि अश्वगंधा इंसुलिन उत्पादन की प्रक्रिया में सुधार करता है, जिससे रक्त में शर्करा के स्तर को कम करने में मदद मिलती है।
  • कैंसर की रोकथाम में मदद – अश्वगंधा पर कुछ अध्ययन किए गए, जिसमें यह पाया गया कि अश्वगंधा में विथफेरिन नामक यौगिक पाया जाता है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने में मदद करता है।

पाठक अधिक जानकारी के लिए श्री नवग्रह आश्रम, मोती बोर का खेड़ा, रायला, जिला भीलवाड़ा सम्पर्क कर सकते हैं। श्री नवग्रह आश्रम आयुर्वेदिक पद्धति से कैंसर उपचार की अग्रणी संस्था है। श्री नवग्रह आश्रम अब तक विभिन्न बीमारियों के 55 हज़ार से अधिक रोगियों को आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति ठीक कर चुका है।

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इन सफेद जहरों को छोड़ दोगे, तो नहीं होगी कभी किडनी खराब

किडनी हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है। यह मुख्य रूप से यूरिया, क्रिएटिनिन, एसिड जैसे नाइट्रोजनयुक्त अपशिष्ट पदार्थ उत्पादों से रक्त को छानने के लिए जिम्मेदार है। शरीर के सभी टॉक्सिन्स हमारे ब्लैडर में चले जाते हैं और यूरीन की रूप में निकल जाते हैं। लाखों लोग विभिन्न प्रकार की किडनी बीमारियों के साथ जी रहे हैं और उनमें से अधिकांश को इसकी जानकारी नहीं है। यही कारण है कि किडनी की बीमारी को अक्सर साइलेंट किलर कहा जाता है। किडनी खराब होने के लक्षण इतने हल्के होते हैं कि ज्यादातर लोगों को बीमारी बढ़ने तक कोई फर्क महसूस नहीं होता। जब चोट, उच्च रक्तचाप या मधुमेह के कारण किडनी खराब हो जाती है, तो यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को फिल्टर करने में असमर्थ होता है, जिससे जहर का निर्माण होता है। ऐसे में किडनी ठीक से काम नहीं कर पाती और टॉक्सिन्स जमा हो सकते हैं।

इसके अलावा किडनी रोगियों को किसी भी आहार, योग और किसी आयुर्वेदिक औषधि का सेवन अपने अनुसार नहीं करना चाहिए। इसके लिए आपको किसी विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए। कई संस्थाएं आयुर्वेदिक तरीके से इसका इलाज कर रही हैं और लोग उनकी दवाओं से ठीक भी हो रहे हैं। ऐसी ही एक संस्था है नवग्रह आश्रम। भीलवाड़ा जिले के रायला गांव के पास मोती बोर का खेड़ा स्थित नवग्रह आश्रम कैंसर सहित कई बीमारियों के इलाज के लिए विश्व प्रसिद्ध है।

किडनी खराब करने में सहयोगी सफेद जहर कौन से है?

1. मानसून के दौरान आमतौर पर नदियों और कई नालों का पानी समुद्र में जा कर बहता है और साथ ही सभी कचरों का समूह भी उसमे समाहित होता है । सितंबर-अक्टूबर में पानी कम होने, वाष्पीकरण के बाद नमक के सफेद कण जमीन पर रह जाते हैं। पोखर के चारों ओर नमक का एक विशाल ढेर जमा हो जाता है। जिसे डिब्बाबंद कर हम अपने घरों में इस्तेमाल करते है। किडनी को खराब करने ये नमकअपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसकी जगह आप काला नमक या सेंधा नमक का इस्तेमाल करना शुरू कर दें।

2. आप शायद रिफाइंड तेल के बारे में नहीं जानते हैं, इसलिए बेझिझक इसका इस्तेमाल कर रहे है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह रिफाइंड तेल आपकी सेहत के लिए हानिकारक है। रिफाइनिंग के लिए, तिलहन को 200-500 डिग्री सेल्सियस के बीच कई बार गर्म किया जाता है और घातक पेट्रोलियम उत्पाद हेगन का उपयोग बीजों से 100% तेल निकालने के लिए किया जाता है, और कई खतरनाक रसायन जैसे कास्टिक सोडा, फॉस्फोरिक एसिड, ब्लीचिंग क्लींजर आदि उपयोग होते हैं। हानिकारक और खराब चीजों से निकालता ये तेल इसलिए गंधहीन, बेस्वाद और कैंसर का कारण बनता है।

आज ही से सरसों या मूँगफली किसी भी प्रकार का तेल कच्ची ढाणी से निकलवाकर ही उपयोग में ले। एक मात्र कच्ची ढाणी का तेल ही शरीर के लिए फायदेमंद है।

किडनी विफलता के लक्षण और लक्षण क्या हैं?

किडनी शरीर का ऐसा अंग है जिसका स्वस्थ रहना बहुत जरूरी है। जब आपकी किडनी स्वस्थ रहती है, तो आपका बाकी शरीर भी स्वस्थ रहता है। अगर आपको अपने शरीर में कुछ बदलाव नज़र आते हैं तो आपको उन्हें नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। किडनी की विफलता के साथ आने वाले लक्षण हैं:-

→पेट और कमर में असहनीय दर्द होना
→पेट में गाँठ या पेट का बढना
→यूरिन में ब्लड होना
→यूरिन रिलीज़ होने में परेशानी होना
→हल्का बुखार बने रहना
→हमेशा सिर दर्द होना
→यूरिन की नली में संक्रमण होना
→कमर में बहुत ज्यादा दर्द होना

किडनी खराब होने का कारण क्या है?

किडनी विफलता तब होती है जब अंग पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो जाता है। इस स्थिति के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:-

1. किडनी में रक्त का प्रवाह कम होना: यदि किडनी में अचानक रक्त की हानि होती है या रक्त का प्रवाह रुक जाता है तो यह किंडनी की विफलता को बढ़ावा देता है।इसके साथ अन्य स्थितियां भी हो सकती हैं, जिनमें शामिल हैं: दिल का दौरा, हृदय रोग, जलन, एलर्जी, गंभीर संक्रमण, लिवर की विफलता।

2. यूरीन की समस्या : हमारा शरीर विषाक्त और अम्लीय पदार्थों को यूरीन के रूप में शरीर से बाहर निकाल देता है। लेकिन जब यूरीन शरीर में जमा होने लगता है और बाहर नहीं निकल पाता है तो यह किडनी पर दबाव बनाता है और इसे ओवरलोड कर देता है। इससे किडनी फेल हो सकती है और यहां तक ​​कि किसी तरह का कैंसर भी हो सकता है।

पाठक अधिक जानकारी के लिए श्री नवग्रह आश्रम, मोती बोर का खेड़ा, रायला, जिला भीलवाड़ा सम्पर्क कर सकते हैं। श्री नवग्रह आश्रम आयुर्वेदिक पद्धति से कैंसर उपचार की अग्रणी संस्था है। श्री नवग्रह आश्रम अब तक विभिन्न बीमारियों के 55 हज़ार से अधिक रोगियों को आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति ठीक कर चुका है।

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कैंसर जागरूकता कार्यक्रम, कौन से लक्षण किडनी कैंसर से पहले देखे जाते हैं?

दुनिया की लगभग 10 प्रतिशत आबादी में किडनी की बीमारियाँ आम हैं। बड़ी संख्या में पीड़ितों के पास अभी तक एक विकसित स्वास्थ्य प्रणाली नहीं है।

ज्यादातर लोग जिन्हें किडनी का कैंसर है, वे लक्षणों को नजर अंदाज़ कर देते हैं। संकेतों को नोटिस नहीं करने के कारण रोग एक उन्नत अवस्था में पहुँच जाता है। हालांकि ज्यादातर लोगों को किडनी कैंसर के लक्षणों के बारे में सटीक जानकारी नहीं होती है।

एक आम धारणा यह भी है कि कैंसर का कोई इलाज नहीं है लेकिन ऐसा नहीं है।कई संस्थाएं कैंसर का इलाज आयुर्वेदिक तरीके से भी कर रही हैं और लोग उनकी दवाओं से इलाज भी कर रहे हैं। इन्हीं संस्थाओं में से एक है नवग्रह आश्रम। नवग्रह आश्रम भीलवाड़ा जिले के रायला गांव के पास मोती बोर का खेड़ा में स्थित है।यह कैंसर सहित विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए प्रसिद्ध है। यँहा किडनी कैंसर के कुछ शुरुआती लक्षण दिए गए हैं जिन्हें आपको नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए।

किडनी कैंसर के लक्षण?

कई बार लोगों को पता ही नहीं चलता है कि उनकी किडनी में कैंसर के लक्षण दिखने लगे हैं। समय बीतता जाता है और इसके लक्षण परिपक़्व होने लगते हैं। किडनी कैंसर के लक्षण इनमें से एक या अधिक हो सकते हैं:-

1. यूरिन में खून का आना : यूरिनरीट्रैक्ट में इंफेक्शन के कारण भी यह लक्षण नजर आता है, लेकिन किडनी कैंसर से पीड़ित ज्यादातर लोगों के यूरिन में खून भी आता है।
2. शरीर में ताकत की कमी रहना: लाल रक्त कोशिकाओं की कमी से थकान हो सकती है। हालांकि ज्यादातर लोगों के लिए थकान एक छोटी सी समस्या हो सकती है, लेकिन कैंसर से जुड़ी थकान अलग होती है।
3. बेवजह वजन घटना: यदि बिना किसी व्‍यायाम या मेहनत के शरीर का वजन बेवजह घटने लगे, तो यह चिंताजनक स्थिति हो सकती है और यह किडनी कैंसर का मौन लक्षण हो सकता है। थकान और भूख न लगने के चलते भी एक समयावधि के बाद वजन घटने लगता है।
4. मूत्र की मात्रा में अचानक कमी होना
5. अचानक अधिक मात्रा में मूत्र की मात्रा बढ़ जाना
6. मूत्र में पीलापन होना
7. मूत्र में अत्यधिक झाग़ आना
8. शरीर पर अत्यधिक छोटी छोटी फुंसी होना
9. शरीर में अत्यधिक खुजली होना
10. हीमोग्लोबिन का लगातार धीरे धीरे कम होना
11. मूत्र में लगातार प्रोटीन का निकलना
12. किडनी के दोनों भाग में सूजन आना

इन लक्षणों से किडनी के कैंसर का पहचान किया जा सकता है। इनमें से किसी भी लक्षण अगर महसूस करे या कोई लक्षण लम्बे समय तक रहे तो डॉक्टर से सम्पर्क करें।

किडनी को नुकसान पहुंचाने वाले कारक?

कई तरह से किडनी को नुकसान पहुंच सकता है। जिन लोगों को डायबिटीज के साथ ही उच्च रक्तचाप की समस्या है, उन्हें इन दोनों ही समस्याओं को कंट्रोल में रखना चाहिए, क्योंकि ये दोनों रोग किडनी को प्रभावित करते हैं। इसके अलावा, मोटापा, धूम्रपान और उम्र बढ़ने से भी किडनी की बीमारी का खतरा बढ़ सकता है। अगर आपका ब्लड शुगर लेवल और ब्लड प्रेशर नियंत्रित नहीं रहेगा तो किडनी की रक्त धमनियां खराब हो जाएंगी, जिसका असर किडनी की कार्यप्रणाली पर भी पड़ेगा।

क्या शुरुआत मे किडनी कैंसर का पता लगाया जा सकता है ?

किडनी कैंसर का पता शुरुआत मे धीमी गति चलता हैं, जबकि कुछ में लक्षण सीमित रहते हैं। इनका पता जब तक नहीं चलता जब तक कि वे शरीर के अन्य भागों में फैल नहीं जाते। कुछ टेस्ट है जो किडनी कैंसर को शुरुआत मे पता लगा सकते है जैसे यूरिन टेस्ट, सीटी स्कैन,एमआरआई।

समय रहते इनकी पहचान कर हम इस बीमारी से बच सकते हैं। कैंसर का इलाज संभव है। अधिक जानकारी के लिए आप नवग्रह आश्रम में संपर्क कर सकते हैं।

किडनी खराब होने के पांच बहुत बड़े कारण क्या है?

कहा जाता है कि पहला सुख निरोगी काया। अगर आपका स्वास्थ्य ठीक है तो आप सबसे सुखी है। लेकिन हमारे स्वास्थ्य के ठीक रहने के लिए हमारे शरीर के अंगों का ठीक रहना जरूरी है। अगर हमारा एक भी अंग सही ढंग से कार्य न करे तो उसका प्रतिकूल प्रभाव हमारे शरीर पर पड़ता है। इन्हीं में एक महत्वपूर्ण अंग है किडनी, जो कि रक्तशोधन का काम करता है।

किडनी खून को छानती है और खून में से 5 6 चीजें निकालती है। इसमें एक तो है सॉडियम जिसे हम नमक बोलते हैं। फिर फास्फोरस, पोटाश, यूरिक एसिड आदि निकालती है। इसके अलावा खून के अंदर अतिरिक्त पानी को भी किडनी बाहर निकालने का काम करती है। मतलब आपका खून का कितना गाढ़ा रहना चाहिए, यह काम भी किडनी ही तय करती है। इसके अलावा बीपी का कम ज्यादा होना भी किडनी पर निर्भर करता है। सॉडियम को बैलेंस करने का काम भी किडनी करती है।

किडनी रोगी को जो खुजली होती है वह भी किडनी के प्रभाव के कारण होती है। किडनी बॉडी के 14 प्रकार के कार्य करती है या फिर उन्हें प्रभावित करती है। जिस प्रकार आरओ पानी की सफाई कर सभी चीजों को अलग अलग कर देता है उसी प्रकार किडनी भी सभी चीजों को अलग अलग कर देती है।

किडनी क्यों खराब होती है?

किडनी खराब होने का कारण खानपान का ध्यान नहीं रखना है। निम्नलिखित कारणों से भी किडनी में समस्या देखी जाती है।

— अगर आपका बीपी लंबे समय से अनियंत्रित है।
— अगर लंबे समय से डायबिटीज के शिकार है।
— अगर आप ज्यादा सफेद नमक खाते हैं।
— अगर आप सफेद शक्कर खाते हैं।
— अकेला सफेद आटा या मैदा खाते हो।
— समुद्री नमक का उपयोग।
— रिफाइंड तेल के उपयोग से।

किडनी रोग से बचाव के आयुर्वेदिक उपचार क्या है?

अगर आप जहर रूपी इन 5 चीजों का सेवन बंद कर दे तो किडनी रोग से बचा जा सकता है।

— नमक का उपयोग कम कर दे, एक 50 किलो वजन के व्य​क्ति के लिए दिन में आधा चम्मच नमक बहुत है। नमक का अधिक उपयोग किडनी रोग का कारण बनता है।
— हमेशा सफेद या समुद्री नमक की जगह सेंधा नमक का इस्तेमाल करे।
— शक्कर की जगह गुड का इस्तेमाल करे।
— अकेले सफेद आटा खाने की जगह उसमें जौ, सोयाबिन आदि का कोई आटा मिक्स करके खाए।
— रिफाइंड तेल की जगह घाणी वाले तेल का उपयोग करे।

अगर आप मेरे द्वारा बताए गए इन कारणों और बचाव के उपायों का अनुसरण करते हैं तो सदैव किडनी रोग से दूर रहेंगे। साथ ही जो किडनी रोग से ग्रसित है उनके लिए भी यह खानपान और परहेज काफी फायदेमंद है।

पाठक अधिक जानकारी के लिए श्री नवग्रह आश्रम, मोती बोर का खेड़ा, रायला, जिला भीलवाड़ा सम्पर्क कर सकते हैं। श्री नवग्रह आश्रम आयुर्वेदिक पद्धति से कैंसर उपचार की अग्रणी संस्था है। श्री नवग्रह आश्रम अब तक विभिन्न बीमारियों के 55 हज़ार से अधिक रोगियों को आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति ठीक कर चुका है।

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ब्रेस्ट कैंसर होने का कारण, लक्षण और उपचार क्या है?

कैंसर एक ऐसा रोग है जिसका नाम सुनते ही हम डर जाते हैं क्योंकि इसे एक गंभीर बीमारी माना जाता है। साथ ही यह भी आम धारणा है कि कैंसर का कोई उपचार नहीं है। लेकिन ऐसा नहीं है, कई संस्थाएं आयुर्वेदिक तरीके से कैंसर का उपचार भी कर रही है और लोग उनकी औषधियों से ठीक भी हो रहे हैं। ऐसा ही एक संस्थान है नवग्रह आश्रम। भीलवाड़ा जिले के रायला गांव के पास मोती बोर का खेड़ा में स्थित नवग्रह आश्रम कैंसर सहित कई रोगों के उपचार के लिए विश्व विख्यात है।

वैसे तो कैंसर कई प्रकार का होता है। लेकिन आज हम बात करने वाले हैं ब्रेस्ट कैंसर होने के कारणों और लक्षणों पर। हमारा संस्थान पिछले कई बरसों से कैंसर सहित कई रोगों के निदान पर कार्य कर रहा है। हमारे बताए लक्षणों को पहचान कर आप जल्द इस बीमारी का उपचार लेकर ठीक हो सकते हैं।

क्या होता है ब्रेस्ट कैंसर?

माताओं, बहनों या कहे कि स्त्रियों के स्तन में होने वाला कैंसर ब्रेस्ट कैसर या स्तन कैंसर कहलाता है। इसमें ब्रेस्ट में एक गांठ बन जाती है जो कि कैंसर का कारण बनती है।

ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण क्या है?

– अगर दोनों ब्रेस्ट की साइज समान है तो आप खतरे से बाहर है।

– दोनों ब्रेस्ट निप्पल का कलर समान है और निप्पल हार्ड नहीं है तो भी कोई खतरा नहीं है।

– निप्पल बीच में ही सीधी अवस्था में रहे यानी कि वे झूके हुए, साइड में गए या ​फिर ऊपर की ओर उठे हुए नहीं होने चाहिए।

– ब्रेस्ट निप्पल अंदर की ओर धंसे हुए नहीं होने चाहिए। अगर निप्पल अंदर धंसने लगे तो ब्रेस्ट कैंसर की संभावना हो सकती है।

– अगर आपके पूरे ब्रेस्ट में कहीं पर कोई गांठ बनती है और जिसको छूने से आपको दर्द होता है तो ब्रेस्ट कैंसर की संभावना हो सकती है।

– अगर आपके ब्रेस्ट में असामान्य उभार दिखाई दे यानी किसी स्थान विशेष पर उभार आ जाए तो ब्रेस्ट कैंसर की संभावना हो सकती है।

– अगर आपके ब्रेस्ट कैंसर की स्कीन शरीर के अन्य हिस्सों के मुकाबले असामान्य रूप से कलर में बदलाव दिखे और झुर्रियां होती दिखाई दें तो ब्रेस्ट कैंसर हो सकता है। सरफेस स्कीन खुरदरी होने लगे तो भी ब्रेस्ट कैंसर हो सकता है।

– निप्पल से पानी, खून की बूंद या पस निकले। साथ ही ब्रेस्ट में जलन होने लगे तो भी ब्रेस्ट कैंसर का संकेत है।

 

ब्रेस्ट कैंसर होने के कारण

– सही उम्र में शादी न होना।

– बच्चों को ब्रेस्ट फीडिंग यानी स्तनपान न करवाना।

– सिंथेटिक कपड़ों का उपयोग करना।

– पौ​ष्टिक भोजन न करना आदि।

ब्रेस्ट कैंसर से बचाव के उपाय

– सूती, सौम्य कपड़े पहने।
– ब्रेस्ट की मसाज करे।
– सूर्य की धूप स्तन पर डाले।
– सात्विक भोजन करे।
– ब्रेस्ट का निरीक्षण करे आदि।

इस आ​र्टिकल में आपने जाना कि किस प्रकार ब्रेस्ट कैंसर के लक्षणों और कारणों को सही समय पर पहचान कर हम इस बीमारी से बच सकते हैं। कैंसर का इलाज संभव है। अधिक जानकारी के लिए आप नवग्रह आश्रम सम्पर्क कर सकते हैं।

Pavtan Pavtan
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