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हाइपर एसिडिटी ने कर दिया जीना मुश्किल? घर बैठे इन आयुर्वेदिक उपायों को अपनाकर पाए राहत

भारतीय भोजन की एक सबसे बड़ी खासियत होती है और वो है तेज मसाला। यहां जितने मसाले डाले जाए उतने कम हैं। ये मसाले खाद्य पदार्थ को बेहद स्वादिष्ट तो बना ही देते हैं लेकिन साथ ही ये आपके शरीर को काफी ज्यादा नुकसान भी पहुंचाते हैं। ज्यादा मसालों का सेवन करने से शरीर में कई तरह की बीमारियां उत्पन्न होने लगती हैं और इन्हीं में से एक है हाइपर एसिडिटी। ये इन दिनों आम बीमारी बन गई है जो हर दूसरे व्यक्ति को अपनी चपेट में ले लेती है। लेकिन कभी-कभी इस बीमारी की वजह से कई गंभीर बीमारियां व्यक्ति को घेर लेती हैं। ऐसे में इसे नजरअंदाज करने की जगह समय रहते इसका इलाज कर लेना चाहिए।

आमतौर पर लोग गैस और एसिडिटी की समस्या होने पर गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट के पास जाते हैं। वहां डॉक्टर्स की फीस से लेकर दवाइयों के खर्चे तक, लंबा बिल बन जाता है। लेकिन आप ये बात नहीं जानते होंगे कि आप बेहद कम खर्च में कुछ आयुर्वेदिक जड़ीबूटियों के जरिए भी हाइपर एसिडिटी से छुटकारा पा सकते हैं। इनमें से कुछ आम जड़ीबूटी तो आपके घर में ही मौजूद रहती हैं। हम आपको आज इस आर्टिकल के जरिए हाइपर एसिडिटी क्या होती है, हाइपर एसिडिटी क्यों होती है? हाइपर एसिडिटी के लक्षण क्या हैं? हाइपर एसिडिटी से बचाव के तरीके, हाइपर एसिडिटी होने पर क्या खाएं क्या ना खाएं और हाइपर एसिडिटी के आयुर्वेदिक इलाज के बारे में बताएंगे।

हाइपर एसिडिटी क्या होती है?

आम भाषा में हाइपर एसिडिटी को पित्त कहते हैं। पित्त खाना पचाने और साथ ही पाचन तंत्र को मजबूत करने के लिए बहुत जरूरी है। लेकिन कई बार शरीर में इसका उत्पादन जरुरत से ज्यादा होने लगता है ऐसे में एसिडिटी और एसिड रिफ्लक्स जैसी कई समस्याएँ उत्पन्न होने लगती हैं।

हाइपर एसिडिटी क्यों होती है?

हाइपरएसिडिटी यानी पित्त कई कारणों से हो सकता है। मसालेदार भोजन, गर्म मसलों का अधिक इस्तेमाल, फास्ट फूड, ज्यादा तेल में तली हुई चीजें, कम पानी पीना, ओवरईटिंग आदि के कारण हाइपर एसिडिटी हो सकती है। हाइड्रोक्लोरिक अम्ल जब इसोफेगस की परत से होकर गुजरता है, तो सीने और पेट में जलन होना शुरू हो जाती है, क्योंकि ये परत हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के लिए नहीं बनी होती है।

हाइपर एसिडिटी के सामान्य लक्षण क्या हैं?

  • छाती में दर्द
  • बदबूदार सांस
  • खांसी
  • निगलने में कठिनाई (डिस्फेगिया)
  • पेट में जलन
  • खट्टी डकार
  • जी मिचलाना
  • उल्टी
  • गले में खराश

किन कारणों से होती ही हाइपर एसिडिटी?

हाइपर एसिडिटी कई कारणों से हो सकती है जिनमें से कुछ आम कारण निम्नलिखित है।

  • खाली पेट रहना
  • खाने के तुरंत बाद लेटना
  • अनियमित भोजन करना
  • भोजन छोड़ना
  • अधिक खाना
  • मसालेदार भोजन
  • नमकीन भोजन
  • अधिक चाय या कॉफी का सेवन
  • फैटी फूड्स
  • कुछ दवाएं
  • रात में देर तक जागना
  • टेंशन लेना
  • पेप्टिक अल्सर
  • व्यायाम की कमी
  • नींद
  • तनाव के कारण
  • शराब और धूम्रपान आदि

हाइपर एसिडिटी से बचने के लिए क्या करें?

  • अधिक मिर्च मसाले वाली चीज़ें खाने से बचें।
  • अधिक गर्म कॉफी या चाय ना पीएं।
  • मासाहार का सेवन ना करें।
  • खाना खाने के बाद थोड़ा बहुत टहले।
  • नियमित रूप से व्यायाम करें।
  • मौसमी फलों का सेवन करें।
  • नीबू, संतरा, मौसम्मी और पिपरमेंट के सेवन से बचें।
  • पैकेज्ड या फ्रोजन फूड के सेवन से बचें।

Hyperacidity दूर करने के लिए क्या चीजें खाएं?

केला

केले में फाइबर अधिक मात्रा में पाया जाता है। ये पेट के लिए काफी फायदेमंद साबित होता है। साथ ही केला खाने को भी अच्छे से पचाने में मदद करता है। इसमें पोटैशियम अधिक मात्रा में पाया जाता है जो पेट में बलगम (म्यूकस) के उत्पादन को बढ़ा देता है और एसिड को बढ़ने से रोकता है। रोजाना एक पका हुआ केला खाना फायदेमंद है।

ठंडा दूध

जब आपको भयंकर एसिडिटी हो रही हो तो आप ठंडे दूध का सेवन कर सकते हैं। दूध में अधिक मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है जो हड्डियों के लिए सुपरफूड का काम करता है। साथ ही ठंडा दूध एसिडिटी और एसिड रिफ्लक्स से हो रही जलन से राहत दिलाता है।

ठंडी छाछ

एसिडिटी छाछ एक बेहद उपयोगी एंटीडोट है। ये खाना पचाने में मदद करती है। दरअसल, छाछ प्रोबॉयोटिक है और प्रोबॉयोटिक खाने से अच्छे से पचाने में मदद करता है। डॉक्टर भी छाछ पीने की सलाह देते हैं। प्रोबॉयोटिक गैस बनने से भी रोकते हैं। इसलिए हमेशा तला हुआ या मसालेदार भोजन करने के बाद आप छाछ जरूर पिएँ।

नारियल पानी

नारियल पानी पेट में ठंडक रखता है। आप हर एक दिन छोड़कर या रोजाना भी इसका सेवन कर सकते हैं। ये गैस और एसिडिटी बनने से रोकता है। साथ ही पचव क्रिया को भी दुरुस्त रखता है।

हाइपर एसिडिटी का आयुर्वेदिक इलाज क्या है?

आयुर्वेद में हर बड़ी से बड़ी बीमारी का इलाज बताया गया है। भले ही आयुर्वेदिक चिकित्सा को असर करने में समय लगता है लेकिन यह लंबे समय तक प्रभावी रहती है। साथ ही इससे शरीर में कोई साइड इफ़ेक्ट भी नहीं होते हैं। आयुर्वेदिक इलाज में आपको सिर्फ आपके घर में मौजूद कुछ चीजों का सेवन करना होता है। इससे आप उस बीमारी से हमेशा के लिए छुटकारा भी पा सकते हैं। आइए जानते हैं हाइपर एसिडिटी के आयुर्वेदिक इलाज के बारे में।

अजवाइन

अजाइन आपको हाइपर एसिडिटी से राहत दिलाने में मदद करेगी। ये पेट में बनने वाली एसिड को कंट्रोल करती है। ऐसे में Hyperacidity होने पर आप आधा चम्मच अजवाइन में एक चुटकी नमक मिलाकर इसका गर्म पानी के साथ सेवन कर लें। ऐसा करने से आपको हाइपर एसिडिटी से राहत मिलेगी।

दालचीनी

दालचीनी भी आपको Hyperacidity से राहत दिला सकती है। इसमें कई नेचुरल एंटासिड पाए जाते हैं, जो पेट में बनने वाले एसिड को रोकने में मदद करते हैं। साथ ही दालचीनी के सेवन से पाचन शक्ति भी मजबूत होती है। आप दालचीनी के पाउडर को शहद में मिलाकर इसका सेवन कर सकते हैं।

अंजीर

अंजीर भी Hyperacidity से राहत दिलाने में मदद करती है। इसमें विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन के, कॉपर, जिंक, पोटैशियम और आयरन जैसे और भी कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं। रोजाना अंजीर के सेवन से पेट में गैस, कब्ज और हाइपर एसिडिटी की समस्या से बहुत जल्द राहत मिलती है। आप रात में एक ग्लास पानी भरकर उसमें दो सूखे अंजीर भिगो दें और अगले दिन सुबह उठकर उसका पानी पी लें और अंजीर को अच्छे से चबाककर खा लें।

इसके अलावा कुछ आयुर्वेदिक चूर्ण और औषधियां ऐसी हैं जो परेशानी से आपको रहत दिलवाएगी वो औषधियां इस प्रकार हैं

  1. अविपत्तिकर चूर्ण
  2. सुतशेखर रस
  3. कामदुधा रस
  4. मौक्तिक कामदुधा
  5. अमलपित्तान्तक रस
  6. अग्नितुण्डि वटी
  7. फलत्रिकादी क्वाथ पंचकर्म चिकित्सा
  8. हरड़ का चूर्ण
  9. त्रिफला चूर्ण

आज के समय में यूं तो विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों में हाइपर एसिडिटी के कई इलाज मौजूद हैं लेकिन राजस्थान के भीलवाड़ा के रायला ग्राम स्थित ‘श्री नवग्रह आश्रम‘ आयुर्वेदिक पद्धति से उपचार के लिए जाना जाता है। यहां पर कई प्रकार के रोगों का उपचार आयुर्वेदिक पद्धति से किया जाता है, जिसमें हाइपर एसिडिटी भी एक है।

अगर आप हाइपर एसिडिटी की समस्या से परेशान है तो नवग्रह आश्रम अवश्य जाना चाहिए।

Pavtan Pavtan
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