यूरिक एसिड बढ़ने के क्या है लक्षण और कारण? जानें इसे कंट्रोल करने के आयुर्वेदिक उपाय
आज के समय में हर दूसरा व्यक्ति गलत लाइफस्टाइल और अनहेल्दी खानपान होने की वजह से कई तरह की बीमारियों की चपेट में आ रहा है। कुछ तो ऐसी भी बीमारी होती हैं जिनके बारे में ज्यादातर लोग जानते तक नहीं हैं। ऐसी ही एक बीमारी है यूरिक एसिड। Uric acid शरीर में एक तरह का गंदा पदार्थ होता है जो हमारे खून में जमा होना शुरू हो जाता है। इसके कारण शरीर के कई हिस्सों में दर्द होने लगता है। यूरिक एसिड के बढ़ने से ज्यादातर जोड़ों में दर्द, घुटनों में दर्द जैसी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। वैसे तो बाजार में बढ़े हुए Uric acid को कम करने के लिए कई तरह की दवाइयाँ मौजूद हैं लेकिन आप शायद ये बात नहीं जानते होंगे कि आप घर में ही कुछ आयुर्वेदिक नुस्खों को अपनाकर बढ़े हुए यूरिक एसिड को कम कर सकते हैं। जी हां, आयुर्वेदिक उपायों को अपनाकर भी आप आसानी से बढ़े हुए यूरिक एसिड को कम करके जोड़ो के दर्द से छुटकारा पा सकते हैं। आइए जानते हैं कैसे?
यूरिक एसिड की समस्या कब होती है?
हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक, यूरिक एसिड के बढ़ने से शरीर के जोड़ों में तेज दर्द होने लगता है. पहले सिर्फ बुजुर्गों में ही ऐसी समस्या देखने को मिलती थी लेकिन अब कम उम्र के लोग भी इसका शिकार होने लगे हैं। जब भी हम प्यूरिन युक्त फूड्स अधिक मात्रा में खाते हैं, तब खून में Uric acid की मात्रा बढ़ जाती है। हालांकि हमारी किडनी यूरिक एसिड को फिल्टर कर उसे यूरिन के माध्यम से शरीर के बाहर निकाल देती है लेकिन जब प्यूरिन की मात्रा बढ़ जाती है तो किडनी ठीक से काम नहीं कर पाती है और यूरिक एसिड ब्लड में मिलने लगता है।
यूरिक एसिड क्या होता है?
यूरिक एसिड खून में पाया जाने वाला एक रसायन होता है। यूरिक एसिड का निर्माण प्यूरीनयुक्त खाद्य पदार्थों की पाचन प्रक्रिया के दौरान होता है। हमारा शरीर किडनी की मदद से यूरिक एसिड को फ़िल्टर करता है। फिर वह पेशाब के साथ शरीर से बाहर निकल देता है। दरअसल, जब शरीर में प्यूरीन का लेवल काफी ज्यादा बढ़ जाता है तो किडनी उसे ठीक से फ़िल्टर नहीं कर पाती है। ऐसे में शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है और शरीर के कई हिस्सों में दर्द की शिकायत होने लगती है।
यूरिक एसिड बढ़ने से क्या खतरा हो सकता है?
शरीर में यूरिक एसिड बढ़ना यानी बीमारियों का प्रवेश होना। यूरिक एसिड के बढ़ते ही जोड़ों में दर्द, सूजन, गाउट और गठिया जैसी बीमारी उतपन्न हो जाती हैं। साथ ही यूरिक एसिड किडनी के काम को भी प्रभावित कर देता है। यदि कोई व्यक्ति डायबिटीज या हार्ट का मरीज है, तो उसे और भी कई समस्याएँ हो सकती हैं। दरअसल, कई बार किडनी यूरिक एसिड को बाहर नहीं निकाल पाती है, ऐसे में यूरिक एसिड क्रिस्टल का रूप ले लेता है और फिर वह शरीर में जोड़ो के आसपास जमा होने लगता है। इससे शरीर में जोड़ो का दर्द उत्पन्न हो जाता है।
यूरिक एसिड बढ़ने के लक्षण क्या हैं?
- जोड़ों में दर्द
- उंगलियों में सूजन-दर्द
- जोड़ों में गांठ की शिकायत
- उठने-बैठने में परेशानी
- गुर्दे की पथरी
- थकान, बुखार और ठंड
यूरिक एसिड को कम करने के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
- यूरिक एसिड बढ़ाने वाली दवाएं ना खाएं।
- कॉफी और चाय का सेवन कम करें।
- वजन कम करें।
- फाइबर रिच फूड और विटामिन सी डाइट में शामिल करें।
- प्यूरिन रिच फूड्स का सेवन करने से बचें।
- नशीले पदार्थों से दूरी बनाकर रखें।
- एयरेटेड ड्रिंक्स में हाई शुगर होता है, जितना हो सके इनसे बचें.
- ज्यादा फ्रक्टोज वाले फलों का सेवन ना करें।
- पालक, ब्रोकली, हरी मटर, आदि जैसी प्यूरीन वाली सब्जियां खाने से बचें।
- पानी ज्यादा मात्रा में पिएं।
- मीट का सेवन ना करें।
- रोजाना एक्सरसाइज या व्यायाम करें।
- रात में जल्दी भोजन करने की कोशिश करें।
यूरिक एसिड को कम करने का आयुर्वेदिक इलाज क्या है?
आयुर्वेद के मुताबिक, शरीर में जब यूरिक एसिड बढ़ जाता है तो इससे पथरी और गठिया रोग होता है। हम आपको आज कुछ ऐसे आयुर्वेदिक नुस्खें बता रहे हैं जो यूरिक एसिड के लक्षणों को दूर करने में बेहद असरदार साबित होते हैं। आइए जानते हैं इन आयुर्वेदिक नुस्खों के बारे में।
गिलोय
गिलोय को सबसे शक्तिशाली आयुर्वेदिक जड़ी बूटी माना जाता है। गिलोय इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के साथ-साथ Uric acid को कम करने के लिए भी काफी असरदार साबित हुई है। इससे शरीर में पित्त की मात्रा कम होती है और वात दोष भी कम होता है।
सौंठ और हल्दी
सौंठ और हल्दी का पाउडर शरीर में Uric acid को कम करने में मदद करता है। साथ ही इसके सेवन से जोड़ो के दर्द में भी काफी आराम मिलता है। आप चाहे तो सौंठ और हल्दी के पाउडर में पानी मिलाकर उसे दर्द वाली जगह पर भी लगा सकते हैं।
काली किशमिश
काली किशमिश के सेवन से हडिडयां मजबूत होती हैं। Uric acid से होने वाले दर्द से राहत पाने के लिए आप रोजाना रात में काली किशमिश को भिगोकर रख दें और सुबह इसका सेवन करें. इससे आपको काफी आराम मिलेगा।
नीम
औषधीय गुणों से भरपूर नीम को कई बीमारियों के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है। Uric acid के मरीजों के लिए भी ये काफी फायदेमंद है। आप नीम के पेस्ट को दर्द वाली जगह पर लगा लें, इससे दर्द और सूजन दोनों से ही राहत मिलेगी।
त्रिफला
भीभीतकी, हरीतकी और आंवला से मिलकर बनने वाला त्रिफला भी Uric acid के मरीजों के लिए काफी मददगार साबित हो सकता है। सुबह रोजाना खाली पेट त्रिफला पाउडर को एक ग्लास गर्म पानी में मिलाकर पीने से काफी आराम मिलेगा।
गोखरू
गोखरू का फल शरीर के लिए काफी फायदेमंद होता है। आप ताजे का सालभर पुराने गोखरू के फल को अच्छे से कुचलकर इसे पानी में भिगो दें और फिर इसे एक-दो दिन तक पी लें। हालांकि, तीन दिन से ज्यादा इस पानी का इस्तेमाल न करें।
वरूण चूर्ण
वरूण चूर्ण भी आयुर्वेद में सबसे शक्तिशाली और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर दवाई मानी जाती है। वरूण चूर्ण का सेवन करने से जोड़ो के दर्द और सूजन दोनों से राहत मिलती है। साथ ही ये ब्लड में Uric acid को बढ़ने से भी रोकता है।
मुस्ता
मुस्ता भी Uric acid को कण्ट्रोल करने के लिए सबसे असरदार आयुर्वेदिक जड़ी बूटी मानी जाती है। आप मुस्ता को हल्का दरदरा पीस लें और फिर इसे रातभर पानी में भिगोकर रख दें। सुबह उठकर आप इस पानी को अच्छे से उबालकर पी लें।
नींबू पानी
नींबू में अधिक मात्रा में विटामिन-C पाया जाता है जो शरीर में एसिडिक प्रभाव पैदा करता है। इससे Uric acid का स्तर कम होने लगता है। रोजाना सुबह उठकर गुनगुने पानी में नींबू निचोड़कर उसका सेवन करने से आपको काफी फायदा पहुंचेगा।