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क्या कैंसर रोगी कैंसर के इलाज में एलोपैथी और आयुर्वेदिक दवाइयों का साथ में सेवन कर सकता है?

कैंसर एक गंभीर और जटिल रोग है, जिससे दुनियाभर में लाखों लोगों को प्रभावित हैं। कैंसर को नियंत्रण में लाने के लिए सही समय पर उचित उपचार की आवश्यकता होती है। कैंसर के पारंपरिक उपचारों में एलोपैथिक उपचार जैसे कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी आदि शामिल हैं।

एलोपैथिक उपचार जीवनरक्षक हो सकता है, लेकिन इनके कई दुष्प्रभाव भी होते हैं। इस कारण से, कई कैंसर रोगी अपने एलोपैथिक उपचार के साथ-साथ आयुर्वेद उपचार भी शुरू करना चाहते हैं, लेकिन सही जानकारी के अभाव में वे दोनों उपचार एक साथ अपनाने से डरते हैं। ऐसे में आज हम इस आर्टिकल में दोनों पद्धतियों का एक साथ उपयोग संभव है या नहीं, इसके बारे में बताएंगे।

कैंसर रोग क्या है?

कैंसर शरीर में कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि से उत्पन्न होने वाला एक रोग है। सामान्य रूप से शरीर की कोशिकाएं नियंत्रित रूप से विभाजित होती हैं, लेकिन कैंसर में यह प्रक्रिया अनियंत्रित हो जाती है, जिससे शरीर के किसी भी हिस्से में गांठ या ट्यूमर बन जाता है, जो धीरे-धीरे अन्य अंगों में फैल सकता है। इसे ही कैंसर कहा जाता है।

कैंसर रोग कितने प्रकार का होता है?

  • कार्सिनोमा: यह सबसे सामान्य प्रकार का कैंसर है, जो त्वचा या आंतरिक अंगों की ऊपरी सतह पर होता है।
  • सार्कोमा: यह हड्डियों, मांसपेशियों, वसा, और रक्त वाहिकाओं में उत्पन्न होने वाला कैंसर है।
  • ल्यूकेमिया: यह कैंसर रक्त और अस्थि मज्जा में होता है, जहां रक्त कोशिकाओं का निर्माण होता है।
  • लिम्फोमा और मायलोमा: यह कैंसर प्रतिरक्षा प्रणाली के अंगों में उत्पन्न होता है।

कैंसर रोग का एलोपैथिक इलाज क्या है?

  • सर्जरी: यह प्रक्रिया कैंसर की कोशिकाओं या ट्यूमर को हटाने के लिए अपनाई जाती है।
  • कीमोथेरपी: इस प्रक्रिया में विशेष प्रकार की दवाइयों से कैंसर कोशिकाओं को नष्ट किया जाता है।
  • रेडियोथेरपी: इस प्र​क्रिया में उच्च ऊर्जा की किरणों से कैंसर कोशिकाओं को नष्ट किया जाता है।
  • इम्यूनोथेरपी और टार्गेटेड थेरपी: ये नवीनतम तकनीकें हैं, जो कैंसर के खिलाफ शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को सशक्त बनाती हैं।

कैंसर का आयुर्वेदिक उपचार क्या है?

आयुर्वेद एक प्राचीनतम भारतीय चिकित्सा पद्धति है, जिसमें जड़ी-बूटियों, आहार, और जीवनशैली के माध्यम से रोगों का उपचार किया जाता है। कुछ आयुर्वेदिक दवाइयों और उपायों को कैंसर के इलाज में भी प्रभावी माना गया है, जो इस प्रकार हैं।

  • अश्वगंधा: यह एक प्रभावी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है, जो तनाव को कम करने और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाती है। इसे कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को रोकने में भी सहायक माना गया है।
  • हल्दी: हल्दी में करक्यूमिन नामक तत्व पाया जाता है, जो कैंसर कोशिकाओं के विकास, और उसे फैलने से रोकने में सहायक है।
  • गोक्षुरा: यह महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है, जिसे गोखरू के नाम से भी जाना जाता है। यह मूत्राशय और गुर्दों से संबंधित कैंसर के इलाज में सहायक मानी गई है।
  • त्रिफला: यह एक आयुर्वेदिक औषधी है, जिसमें आंवला, बिभीतक और हरितकी का मिश्रण होता है। यह पाचन को सुधारने, शरीर को डिटॉक्सिफाई करने और प्रतिरक्षा को बढ़ाने में सहायक है।

क्या कैंसर रोग के इलाज में एलोपैथी के साथ आयुर्वेदिक दवाइयों का सेवन कर सकते हैं?

कैंसर के इलाज के दौरान एलोपैथी और आयुर्वेदिक दवाइयों का साथ में सेवन करने से पहले किसी विशेषज्ञ से सलाह लेना अत्यंत आवश्यक है। एलोपैथी और आयुर्वेदिक दवाइयां दोनों ही अपनी-अपनी जगह महत्वपूर्ण हैं, लेकिन इनका साथ में सेवन डॉक्टर के परामर्श के बगैर नहीं करना चाहिए।

अगर आप एलोपैथी के साथ आयुर्वेदिक दवाइयों का सेवन करना चाहते हैं, तो किसी अच्छे आयुर्वेदिक डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें। यह आपको डॉक्टर की बेहतर बता पाएंगे कि दोनों का साथ में सेवन आपकी सेहत पर किस प्रकार का प्रभाव डालता है।

उपरोक्त आर्टिकल कैंसर के एलोपैथी और आयुर्वेदिक उपचार के संबंध में जानकारी के लिए लिखा गया है। किसी भी प्रकार का उपचार शुरू करने से पूर्व विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें।

कैंसर अवेरनेस प्रोग्राम- मुँह,गले और गर्दन का कैंसर

सिर और गर्दन के कैंसर के मामले दुनिया भर में तेजी से बढ़ रहे हैं। इसके अनुसार, पिछले बीस वर्षों के दौरान युवाओं और किशोरों में सिर और गर्दन के कैंसर की संख्या में 51 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। भारत में भी हर साल इस कैंसर के 12 से 18 लाख नए मामले हर साल सामने आते हैं। कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर की कुछ कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं और शरीर के अन्य हिस्सों में फैल जाती हैं। यदि सिर, मुँह और गर्दन में कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ती हैं, तो इसे सिर,मुँह और गर्दन का कैंसर कहा जाता है। कैंसर के शुरूआती लक्षण में ही आपको किसी विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए। कई संस्थाएं आयुर्वेदिक तरीके से इसका इलाज कर रही हैं और लोग उनकी दवाओं से ठीक भी हो रहे हैं। ऐसी ही एक संस्था है नवग्रह आश्रम। भीलवाड़ा जिले के रायला गांव के पास मोती बोर का खेड़ा स्थित नवग्रह आश्रम कैंसर सहित कई बीमारियों के इलाज के लिए विश्व प्रसिद्ध है।

मुँह और गर्दन में कैंसर शुरू होने के प्रारम्भिक लक्षण

मुंह और गर्दन के कैंसर मुख्य रूप से व्यक्ति की जीवन शैली की गतिविधियों के कारण विभिन्न कार्सिनोजेन्स के संपर्क में आने के कारण होते हैं। तंबाकू और इसके पदार्थों के सेवन से करीब 85 प्रतिशत मरीज इस बीमारी के शिकार हो जाते हैं। तंबाकू का सेवन तुरंत बंद करने से इन दोनों जगहों पर कैंसर से बचा जा सकता है। मुंह और गर्दन के कैंसर के अन्य कारणों में शराब पीना, सुपारी या कत्था खाना, खराब मौखिक स्वच्छता शामिल हैं। यदि प्रारंभिक अवस्था में बीमारी का पता चल जाता है, तो उपचार के परिणाम बहुत अच्छे होते हैं। लेकिन दुर्भाग्य से भारत में इस बीमारी के इलाज के नतीजे सुखद नहीं हैं। इसका कारण यह है कि मरीज एडवांस स्टेज में अस्पताल पहुंचता है।

मुंह का कैंसर आमतौर पर मुंह में एक असामान्य गांठ के रूप में शुरू होता है, लेकिन अक्सर कुछ घाव तीन सप्ताह तक दिखाई नहीं दे सकते हैं, जो मुंह के कैंसर का प्रारंभिक संकेत भी हो सकता है। इससे मुंह में दर्द या परेशानी हो सकती है। इसके अलावा मुंह में सफेद या लाल धब्बे भी कैंसर की शुरुआत का संकेत हो सकते हैं। इन घावों को ल्यूकोपेनिया या एरिथ्रोप्लाकिया कहा जाता है। शुरूआती लक्षण कुछ आगे लिखे हुए हैं-

→ गले में खराश या अल्सर जो 14 दिनों के भीतर ठीक नहीं हो।
→मुंह के लाल, सफेद या काले रंग के धब्बे गाल,मसूड़े की ओर दिखाई देना।
→कोई गांठ या सख्त जगह जो सामान्य नहीं है, आमतौर पर जीभ की सीमा पर।
→ त्वचा की सामान्य सतह से ऊपर उठा हुआ कोई भी गांठ या सख्त ऊतक।
→ जबड़े में छाला या उभार जो दंत चिकित्सा से भी ठीक नहीं हो।
→नकली दांत के नीचे घाव होना।
→ गर्दन के बाहर दो सप्ताह से अधिक समय तक दर्द रहित, सख्त गांठ महसूस करना।
→गले में खराश जो कभी ठीक नहीं होती।
→लगातार खांसी जो ठीक नहीं हो रही है।
→लंबे समय तक बने रहने वाले भोजन को निगलने में कठिनाई या दर्द।
→आवाज बदलना या कम होना
→कान का दर्द (एकतरफा) जो कई दिनों तक बना रहता है।

गले के कैंसर शुरू होने के शुरूआती लक्षण

→लंबे समय तक आवाज में बदलाव या आवाज में भारीपन।
→भोजन निगलने में कठिनाई।
→तेजी से वजन घटाने।
→लंबे समय तक गले में खराश।
→कफ के साथ खून बहना।
→गर्दन में सूजन और दर्द बना रहना।
→लंबे समय तक कान में दर्द।

कैंसर दूर करने में क्या बचाव और सावधानियाँ आवश्यक हैं ?

तंबाकू या धूम्रपान तुरंत छोड़ दें। तंबाकू में 18 ऐसे घातक रसायन होते हैं जो कैंसर का कारण बनते हैं। तंबाकू में 4000 से अधिक जहरीले रसायन होते हैं। तंबाकू में ऐसा कोई तत्व नहीं है जो मानव स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो। कैंसर के बारे में सम्पूर्ण रूप से जानकारी लेने के लिए पाठक श्री नवग्रह आश्रम, मोती बोर का खेड़ा, रायला, जिला भीलवाड़ा सम्पर्क कर सकते हैं। श्री नवग्रह आश्रम आयुर्वेदिक पद्धति से कैंसर उपचार की अग्रणी संस्था है। श्री नवग्रह आश्रम अब तक विभिन्न बीमारियों के 55 हज़ार से अधिक रोगियों को आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति ठीक कर चुका है।

कैंसर जागरूकता कार्यक्रम, कौन से लक्षण किडनी कैंसर से पहले देखे जाते हैं?

दुनिया की लगभग 10 प्रतिशत आबादी में किडनी की बीमारियाँ आम हैं। बड़ी संख्या में पीड़ितों के पास अभी तक एक विकसित स्वास्थ्य प्रणाली नहीं है।

ज्यादातर लोग जिन्हें किडनी का कैंसर है, वे लक्षणों को नजर अंदाज़ कर देते हैं। संकेतों को नोटिस नहीं करने के कारण रोग एक उन्नत अवस्था में पहुँच जाता है। हालांकि ज्यादातर लोगों को किडनी कैंसर के लक्षणों के बारे में सटीक जानकारी नहीं होती है।

एक आम धारणा यह भी है कि कैंसर का कोई इलाज नहीं है लेकिन ऐसा नहीं है।कई संस्थाएं कैंसर का इलाज आयुर्वेदिक तरीके से भी कर रही हैं और लोग उनकी दवाओं से इलाज भी कर रहे हैं। इन्हीं संस्थाओं में से एक है नवग्रह आश्रम। नवग्रह आश्रम भीलवाड़ा जिले के रायला गांव के पास मोती बोर का खेड़ा में स्थित है।यह कैंसर सहित विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए प्रसिद्ध है। यँहा किडनी कैंसर के कुछ शुरुआती लक्षण दिए गए हैं जिन्हें आपको नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए।

किडनी कैंसर के लक्षण?

कई बार लोगों को पता ही नहीं चलता है कि उनकी किडनी में कैंसर के लक्षण दिखने लगे हैं। समय बीतता जाता है और इसके लक्षण परिपक़्व होने लगते हैं। किडनी कैंसर के लक्षण इनमें से एक या अधिक हो सकते हैं:-

1. यूरिन में खून का आना : यूरिनरीट्रैक्ट में इंफेक्शन के कारण भी यह लक्षण नजर आता है, लेकिन किडनी कैंसर से पीड़ित ज्यादातर लोगों के यूरिन में खून भी आता है।
2. शरीर में ताकत की कमी रहना: लाल रक्त कोशिकाओं की कमी से थकान हो सकती है। हालांकि ज्यादातर लोगों के लिए थकान एक छोटी सी समस्या हो सकती है, लेकिन कैंसर से जुड़ी थकान अलग होती है।
3. बेवजह वजन घटना: यदि बिना किसी व्‍यायाम या मेहनत के शरीर का वजन बेवजह घटने लगे, तो यह चिंताजनक स्थिति हो सकती है और यह किडनी कैंसर का मौन लक्षण हो सकता है। थकान और भूख न लगने के चलते भी एक समयावधि के बाद वजन घटने लगता है।
4. मूत्र की मात्रा में अचानक कमी होना
5. अचानक अधिक मात्रा में मूत्र की मात्रा बढ़ जाना
6. मूत्र में पीलापन होना
7. मूत्र में अत्यधिक झाग़ आना
8. शरीर पर अत्यधिक छोटी छोटी फुंसी होना
9. शरीर में अत्यधिक खुजली होना
10. हीमोग्लोबिन का लगातार धीरे धीरे कम होना
11. मूत्र में लगातार प्रोटीन का निकलना
12. किडनी के दोनों भाग में सूजन आना

इन लक्षणों से किडनी के कैंसर का पहचान किया जा सकता है। इनमें से किसी भी लक्षण अगर महसूस करे या कोई लक्षण लम्बे समय तक रहे तो डॉक्टर से सम्पर्क करें।

किडनी को नुकसान पहुंचाने वाले कारक?

कई तरह से किडनी को नुकसान पहुंच सकता है। जिन लोगों को डायबिटीज के साथ ही उच्च रक्तचाप की समस्या है, उन्हें इन दोनों ही समस्याओं को कंट्रोल में रखना चाहिए, क्योंकि ये दोनों रोग किडनी को प्रभावित करते हैं। इसके अलावा, मोटापा, धूम्रपान और उम्र बढ़ने से भी किडनी की बीमारी का खतरा बढ़ सकता है। अगर आपका ब्लड शुगर लेवल और ब्लड प्रेशर नियंत्रित नहीं रहेगा तो किडनी की रक्त धमनियां खराब हो जाएंगी, जिसका असर किडनी की कार्यप्रणाली पर भी पड़ेगा।

क्या शुरुआत मे किडनी कैंसर का पता लगाया जा सकता है ?

किडनी कैंसर का पता शुरुआत मे धीमी गति चलता हैं, जबकि कुछ में लक्षण सीमित रहते हैं। इनका पता जब तक नहीं चलता जब तक कि वे शरीर के अन्य भागों में फैल नहीं जाते। कुछ टेस्ट है जो किडनी कैंसर को शुरुआत मे पता लगा सकते है जैसे यूरिन टेस्ट, सीटी स्कैन,एमआरआई।

समय रहते इनकी पहचान कर हम इस बीमारी से बच सकते हैं। कैंसर का इलाज संभव है। अधिक जानकारी के लिए आप नवग्रह आश्रम में संपर्क कर सकते हैं।

ब्रेस्ट कैंसर होने का कारण, लक्षण और उपचार क्या है?

कैंसर एक ऐसा रोग है जिसका नाम सुनते ही हम डर जाते हैं क्योंकि इसे एक गंभीर बीमारी माना जाता है। साथ ही यह भी आम धारणा है कि कैंसर का कोई उपचार नहीं है। लेकिन ऐसा नहीं है, कई संस्थाएं आयुर्वेदिक तरीके से कैंसर का उपचार भी कर रही है और लोग उनकी औषधियों से ठीक भी हो रहे हैं। ऐसा ही एक संस्थान है नवग्रह आश्रम। भीलवाड़ा जिले के रायला गांव के पास मोती बोर का खेड़ा में स्थित नवग्रह आश्रम कैंसर सहित कई रोगों के उपचार के लिए विश्व विख्यात है।

वैसे तो कैंसर कई प्रकार का होता है। लेकिन आज हम बात करने वाले हैं ब्रेस्ट कैंसर होने के कारणों और लक्षणों पर। हमारा संस्थान पिछले कई बरसों से कैंसर सहित कई रोगों के निदान पर कार्य कर रहा है। हमारे बताए लक्षणों को पहचान कर आप जल्द इस बीमारी का उपचार लेकर ठीक हो सकते हैं।

क्या होता है ब्रेस्ट कैंसर?

माताओं, बहनों या कहे कि स्त्रियों के स्तन में होने वाला कैंसर ब्रेस्ट कैसर या स्तन कैंसर कहलाता है। इसमें ब्रेस्ट में एक गांठ बन जाती है जो कि कैंसर का कारण बनती है।

ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण क्या है?

– अगर दोनों ब्रेस्ट की साइज समान है तो आप खतरे से बाहर है।

– दोनों ब्रेस्ट निप्पल का कलर समान है और निप्पल हार्ड नहीं है तो भी कोई खतरा नहीं है।

– निप्पल बीच में ही सीधी अवस्था में रहे यानी कि वे झूके हुए, साइड में गए या ​फिर ऊपर की ओर उठे हुए नहीं होने चाहिए।

– ब्रेस्ट निप्पल अंदर की ओर धंसे हुए नहीं होने चाहिए। अगर निप्पल अंदर धंसने लगे तो ब्रेस्ट कैंसर की संभावना हो सकती है।

– अगर आपके पूरे ब्रेस्ट में कहीं पर कोई गांठ बनती है और जिसको छूने से आपको दर्द होता है तो ब्रेस्ट कैंसर की संभावना हो सकती है।

– अगर आपके ब्रेस्ट में असामान्य उभार दिखाई दे यानी किसी स्थान विशेष पर उभार आ जाए तो ब्रेस्ट कैंसर की संभावना हो सकती है।

– अगर आपके ब्रेस्ट कैंसर की स्कीन शरीर के अन्य हिस्सों के मुकाबले असामान्य रूप से कलर में बदलाव दिखे और झुर्रियां होती दिखाई दें तो ब्रेस्ट कैंसर हो सकता है। सरफेस स्कीन खुरदरी होने लगे तो भी ब्रेस्ट कैंसर हो सकता है।

– निप्पल से पानी, खून की बूंद या पस निकले। साथ ही ब्रेस्ट में जलन होने लगे तो भी ब्रेस्ट कैंसर का संकेत है।

 

ब्रेस्ट कैंसर होने के कारण

– सही उम्र में शादी न होना।

– बच्चों को ब्रेस्ट फीडिंग यानी स्तनपान न करवाना।

– सिंथेटिक कपड़ों का उपयोग करना।

– पौ​ष्टिक भोजन न करना आदि।

ब्रेस्ट कैंसर से बचाव के उपाय

– सूती, सौम्य कपड़े पहने।
– ब्रेस्ट की मसाज करे।
– सूर्य की धूप स्तन पर डाले।
– सात्विक भोजन करे।
– ब्रेस्ट का निरीक्षण करे आदि।

इस आ​र्टिकल में आपने जाना कि किस प्रकार ब्रेस्ट कैंसर के लक्षणों और कारणों को सही समय पर पहचान कर हम इस बीमारी से बच सकते हैं। कैंसर का इलाज संभव है। अधिक जानकारी के लिए आप नवग्रह आश्रम सम्पर्क कर सकते हैं।

Pavtan Pavtan
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