क्या आप भी गठिया दर्द से है परेशान? अपनाएं ये आयुर्वेदिक उपाय और पाए इस समस्या से छुटकारा

गठिया रोग

आप ने कभी न कभी गठिया रोग का नाम सुना होगा या फिर किसी बुजुर्ग से यह कहते अवश्य सुना होगा कि उनके घुटनों में दर्द रहता है। दरअसल, यही गठिया विकार है जो अक्सर पचास वर्ष की उम्र के आसपास के लोगों को होता है।

आज के इस आर्टिकल में हम गठिया विकार के बार में विस्तार से जानेंगे।

गठिया रोग क्या होता है?
गठिया रोग के क्या कारण होते हैं?
गठिया रोग की पहचान कैसे करे?
गठिया के दर्द के कम कैसे किया जा सकता है?
क्या गठिया रोग को आयुर्वेदिक उपायों से ठीक किया जा सकता है?

गठिया क्या है?

गठिया बेहद आम है, खासकर 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में होता है। गठिया एक ऐसी बीमारी है जो आपके जोड़ों को नुकसान पहुंचाती है। जोड़ शरीर के उस स्थान को कहा जाता है, जहाँ दो हड्डियाँ मिलती हैं। यं तो उम्र बढ़ने के साथ कुछ जोड़ स्वाभाविक रूप से घिसने लगते हैं। ऐसे में बहुत से लोगों को एक उम्र के बाद गठिया हो जाता है। लेकिन कई बार चोट लगने से भी गठिया हो जाता है। कुछ स्वास्थ्य स्थितियां भी गठिया का कारण बनती हैं।

गठिया किसी भी जोड़ को प्रभावित कर सकता है, लेकिन यह नीचे कुछ वे जोड़ बताएं जा रहे हैं, जो सबसे अधिक प्रभावित होते हैं।

  • हाथ और कलाई
  • घुटने
  • नितंब
  • पैर और टखने
  • कंधे
  • निचली पीठ (काठ की रीढ़) आदि।

गठिया रोग के क्या कारण होते हैं?

गठिया रोग होने के कारण निम्नलिखित हो सकते हैं।

बढ़ती उम्र

उम्र बढ़ने के साथ साथ हमारी हड्डियां भी कमज़ोर होने लगती हैं। तकरीबन 60 वर्ष की उम्र के बाद लोगों में यह समस्या देखने को मिलती है। हड्डियों पर शरीर का वज़न न आने से गठिया का खतरा बढ़ जाता है।

मोटापा

शरीर का वज़न बढ़ने से भी उसका प्रभाव जोड़ों पर पड़ता है। इसके चलते जोड़ों में दर्द और ऐंठन की समस्या बनी रहती है।

जेनेटिक

कई बार आनुवांशिक तौर पर भी गठिया का प्रभाव देखने को मिलता है। अगर परिवार का कोई भी सदस्य गठिया से ग्रस्त हो, तो ये आपको भी प्रभावित कर सकता है।

खराब खान पान

उचित खान पान न होना भी गठिया का एक प्रमुख कारण है। हेल्दी डाइट न लेने से लोग आटो इम्यून डिजीज के शिकार हो जाते हैं। ऐसे में सदैव पौष्टिक भोजन के अलावा एक्सरसाइज़ को भी अपने रूटीन में शामिल करना चाहिए।

चोट लगना

कई बार लगने वाली सामान्य चोट भी ऑस्टियो अर्थराइटिस का कारण बनती है। चोट लगने से कार्टिलेज का स्तर घटने लगता है। इससे शरीर कमज़ोर हो जाता है, और ये समस्या बढ़ जाती है।

गठिया रोग की पहचान कैसे करे? गठिया रोग के लक्षण क्या है?

गठिया रोग के कुछ प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं।

  • जोड़ों में दर्द।
  • चलते-फिरते या उठते बैठते दर्द।
  • कठोरता।
  • सूजन।
  • त्वचा का रंग बदलना।
  • छूने पर दर्द।
  • जोड़ों के पास गर्माहट का एहसास आदि।

गठिया के दर्द को कम कैसे किया जा सकता है?

हम निम्नलिखित उपायों को अपनाकर गठिया के दर्द से राहत पा सकते हैं।

दवाओं का उपयोग: हम डॉक्टर से परामर्श लेकर दर्द निवारक आयुर्वेदिक या एलोपैथिक दवाओं का सेवन कर, दर्द से आराम पा सकते हैं।

बर्फ और गरम पानी की सिकाई: हम जोड़ों पर गरम पानी एवं बर्फ की सिकाई कर भी दर्द से एक बार छूटकारा पा सकते हैं।

योग और व्यायाम: हमें नियमित रूप से योग और व्यायाम करना चाहिए, जो गठिया के दर्द को कम करने में मददगार है।

आराम: यदि संभव हो आराम करें और जिन जोड़ों में दर्द रहता है, उस पर लगातार वजन नहीं डाले जैसे अगर पैरों के जोड़ों में दर्द है तो अधिक समय तक खड़ा नहीं रहे आदि।

संतुलित आहार: अपने भोजन में संतुलित एवं पौष्टिक आहार को शामिल करे। जिससे हड्डियां मजबूत हो एवं रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़े।

क्या गठिया रोग को आयुर्वेदिक उपायों से ठीक किया जा सकता हैं?

जी हां, हम कुछ आयुर्वेदिक उपायों को अपनाकर गठिया विकार से राहत प्राप्त कर सकते हैं, जो इस प्रकार हैं।

हल्दी : हल्दी गठिया के लिए एक बहुत ही गुणकारी है। हम हल्दी को नारियल या फिर सरसों के तेल में मिलाकर प्रभावित जगह पर लेप लगा सकते हैं। ऐसा करने से दर्द से राहत मिलेगी। इसके अलावा गठिया मरीजों के लिए हल्दी का सेवन भी बेहद गुणकारी है। हल्दी में पाया जाने वाला करक्यूमिन नामक तत्व शरीर से दर्द को खत्म करने में मदद करता है।

लहसुन : लहसुन को सरसों के तेल में गर्म करने के बाद उसे अपने जोड़ों पर इस्तेमाल कर सकते हैं। लहसुन में डायलिल डाइसल्फ़ाइड पाया जाता है, जो एंटी इन्फ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होता है। जिससे आपको सूजन एवं दर्द से राहत मिलेगी।

अदरक : गठिया के दर्द से राहत पाने के लिए अदरक भी बेहद गुणकारी है। अदरक का पेस्ट अपने जोड़ों पर लगाने और अदरक का सेवन भी लाभकारी है। अदरक गठिया के रोगियों के लिए बेहद लाभकारी है।

गुग्गुलु : गठ‍िया रोग के ल‍िए गुग्गुलु का भी इस्‍तेमाल क‍िया जाता है। आयुर्वेद में गठ‍िया रोग के ल‍िए भुजंगासन, ताड़ासन, हलासन, पद्मासन और अर्धमत्स्येन्द्रासन आद‍ि को भी फायदेमंद माना जाता है।

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