क्या आयुर्वेद में फैटी लिवर ग्रेड 2 का पूर्णतः उपचार सम्भव है?

हम सभी को कभी न कभी पेट से जुड़ी समस्याएं तो अवश्य हुई होगी, इनमें कुछ समस्याएं ऐसी होती हैं जो सामान्य होती है और कुछ पर अगर ध्यान नहीं दिया जाए तो वह आगे चलकर गंभीर रूप भी ले सकती है।

जब भी पेट से जुड़ी समस्याओं पर बात करते हैं तब लिवर और ज़हरीले पदार्थों को पित्त के रूप में छानकर शरीर से अलग करता है। लीवर चयापचयों को detoxify करना, प्रोटीन को संश्लेषित करना, और पाचन के लिए आवश्यक जैव रासायनिक बनाने का कार्य भी करता है।

ऐसे हमें आप यह तो जान गए होंगे कि लिवर शरीर का एक प्रमुख अंग होने के साथ मानव शरीर की शरीर की सबसे बड़ी ग्रंथि है, जो पित्त (Bile) का निर्माण करती है। लेकिन कई बार स्वास्थ्य कारणों एवं खराब लाइफस्टाइल के कारण लिवर प्रभावित हो जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए अच्छा संकेत नहीं है। इसी में एक अवस्था है फैटी लिवर।

फैटी लिवर रोग क्या है?

फैटी लिवर, जिसे हेपेटिक स्टीटोसिस भी कहा जाता है, एक ऐसी स्थिति है जिसमें लिवर बहुत अधिक वसा जमा हो जाती है। फैटी लिवर सीधे तौर पर कोई लक्षण पैदा नहीं कर सकता है, लेकिन यह महत्वपूर्ण स्वास्थ्य समस्याओं का कारण जरूर बन सकता है। ऐसी स्थिति को रोकने और सुधारने के लिए अपनी जीवनशैली में बदलाव करना महत्वपूर्ण है। फैटी लिवर विभिन्न कारकों से हो सकता है, जिनमें शराब का उपयोग, मोटापा और चयापचय संबंधी विकार शामिल हैं।

फैटी लिवर का अवलोकन

फैटी लिवर एक ऐसी स्थिति है जहां लिवर में वसा लीवर के वजन के 5% से 10% के स्तर तक जमा हो जाती है। वसा निर्माण के कारणों के आधार पर, वसायुक्त रोग की इस स्थिति को दो प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है:

गैर-एल्कोहलिक फैटी लिवर रोग: यह शराब के सेवन से जुड़ा नहीं है।

एल्कोहलिक फैटी लिवर रोग: एल्कोहलिक फैटी लिवर रोग, अत्यधिक मात्रा में शराब के उपयोग से जुड़ा हुआ है।

फैटी लिवर को वसा की उपस्थिति के आधार पर तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है:

  • ग्रेड 1 इस श्रेणी अन्तर्गत लीवर में 5% से 33% वसा लीवर में जमा हो जाती है।
  • ग्रेड 2 इस श्रेणी अन्तर्गत लिवर में 34-66% वसा लिवर में जमा हो जाती है।
  • ग्रेड 3 यह गंभीर श्रेणी है, जिसमें 66% से अधिक वसा लिवर में जमा हो जाती है।

फैटी लिवर ग्रेड 2 के लक्षण क्या है?

फैटी लिवर, लिवर के फैटी होने के प्रभाव को प्रदर्शित करती एक ग्रेड है। ग्रेड 2 फैटी लिवर का अर्थ है लिवर में 34-66% वसा जमा हो गई है। हेल्थ आर्टिकल्स के अनुसार जब तक बीमारी सिरोसिस चरण तक नहीं पहुंच जाती, तब तक फैटी लिवर ग्रेड 2 में ज्यादातर कोई लक्षण नहीं दिखता है। कुछ लक्षण देखे जा सकते हैं, जो इस प्रकार हैं।

  • भूख में कमी
  • वजन घटना
  • उल्टी आना
  • पैर और पेट सूजे हुए दिखाई देना
  • थकावट और कमजोरी महसूस करना
  • त्वचा का रंग बदलकर पीला हो जाना
  • आंखों का सफेद भाग पीला पड़ना
  • पेट के ऊपरी दाहिनी ओर दर्द होना।

फैटी लिवर ग्रेड 2 का कारण क्या है?

  • स्वास्थ्य स्थितियां या बीमारियाँ
  • आनुवंशिक कारक
  • असंतुलित आहार
  • अधिक वजन या मोटापा
  • टाइप 2 मधुमेह
  • रक्त में वसा का असामान्य स्तर
  • स्टेरॉयड का सेवन करना
  • नींद संबंधी विकार
  • हेपेटाइटिस सी संक्रमण आदि।

फैटी लिवर ग्रेड 2 का इलाज क्या है?

फैटी लिवर ग्रेड 2 के लक्षण दिखने पर आपको चिकित्सकीय सलाह लेनी होती है। आपकी चिकित्सा स्थिति के आधार पर डॉक्टर लिवर फंक्शन टेस्ट कराने की सलाह देगा। जिसमें आपके लिवर के स्वास्थ्य की जांच की जाएगी।

इसके अलावा डॉक्टर आपको अन्य टेस्ट के लिए भी कह सकता है, जिसमें अल्ट्रासाउंड, एमआरआई स्कैन आदि शामिल हैं। अगर हम दवाओं की बात करें तो फैटी लिवर रोग के इलाज के लिए कोई खास दवा नहीं है, हालांकि डॉक्टर्स द्वारा लिखी कुछ दवाओं के माध्यम से इसकी स्थिति में सुधार जरूर किया जा सकता है। फैटी लिवर के इलाज के लिए जीवनशैली में बदलाव की सलाह जरूर दी जाती है।

यदि आपको चयापचय संबंधी फैटी लिवर रोग है, तो यह उपाय किए जा सकते हैं।

  • स्वस्थ एवं संतुलित आहार लें
  • चीनी का उपयोग कम करें
  • वजन नियंत्रित करें
  • नियमित रूप से व्यायाम करें
  • अपने रक्त शर्करा को नियंत्रित करें
  • उच्च कोलेस्ट्रॉल है तो उसका करवाएं
  • लिवर का प्रभावित करने वाली दवाओं से बचें
  • शराब एवं धूम्रपान का सेवन नहीं करें आदि।

लिवर ग्रेड 2 का आयुर्वेदिक इलाज क्या है?

अब हम फैटी लीवर ग्रेड 2 के उपचार के लिए आयुर्वेदिक उपायों पर बात करेंगे। आयुर्वेद में ऐसी कई जड़ी बुटियां और औषधियां मौजूद है, जो लिवर ग्रेड 2 के ​इलाज में मददगार साबित हो सकती है।

फैटी लिवर का आयुर्वेदिक इलाज है आंवला

विशेषज्ञों के अनुसार आंवला लिवर के लिए सबसे अच्छा है। आंवला लिवर की कार्यप्रणाली में सुधार करता है। आंवला लिवर में जमा गंदा फैट हटाता है। फैटी लिवर की समस्या से ग्रसित लोगों को रोजाना आंवला रस पीना चाहिए।

सुबह गुनगुना पानी पिएं

लिवर को हेल्दी एंड स्ट्रोंग बनाने के लिए रोजाना जल्दी सोना और जल्दी उठना चाहिए। साथ ही सुबह उठकर सबसे पहले 1-2 गिलास गुनगुना पानी अवश्य पिएं।

एलोवेरा जूस

एलोवरा जूस भी फैटी लिवर को बेहतर करने में बहुत मददगार है। एलोवेरा जूस का सेवन रक्त को शुद्ध करने और लीवर के कार्य को बढ़ावा देने में मदद करता है।

गन्ने जूस का सेवन

अगर आपको फैटी लिवर की समस्या है तो गन्ने के रस का सेवन करें। गन्ने के रस का सेवन भी फैटी लिवर में गंदगी को बाहर निकालने में मददगार है।

त्रिफला चूर्ण

त्रिफला चूर्ण बहुत ही फायदेमंद औषधी है। आयुर्वेदिक तरीकों से तैयार किया गया ये चूर्ण डाइजेशन को सही रखने में मददगार है। इसके साथ ही शरीर के टॉक्सिंस को बाहर निकालने और लीवर को खराब होने से भी बचाता है। त्रिफला में एंटी ऑक्सीडेंट और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो लिवर के स्वास्थ्य के लाभकारी है।

Pavtan Pavtan
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