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तम्बाकू छोड़ने के उपाय, तम्बाकू कैसे छोड़े,

तम्बाकू छोड़ने का निश्चय करें। दिन अभी तय करें। आप अपने आस-पास रखी तम्बाकू वाली सभी चीजों को हटा दें। समय-समय पर कोई भी ऐसा दिन पुकर्रर करें, जब आप पूरे दिन में तम्बाकू का सेवन नहीं करेंगे। तम्बाकू छोड़ने के बाद शरीर के अच्छे प्रभावों पर गौर कीजिए। जब तम्बाकू के सेवन की तलब जोर से लगे तो अपनी तलब को थोड़ी देर भुला दें। अथवा अदरक को छोटे हिस्सों में काटकर उसे सेक कर उस पर निंबू व सेंधा नमक लगाकर उसका सेवन करें। तम्बाकू के सेवन की तलब से ध्यान हटाने के लिए कोई दूसरा कार्य करें। उन जगहों पर न जाएँ, जहाँ आपका मन धूम्रपान करने/तम्बाकू चबाने के लिए ललचाए। समान विचार रखने वाले ऐसे व्यक्तियों को दोस्त बनाएँ, जो तम्बाकू छोड़ने की आपकी कोशिश में आपको प्रेरित करें। तम्बाकू का सेवन न करने से होने वाली बचत की गणना कम उम्र में कैंसर कर अपने तम्बाकू छोड़ने के फैसले को मजबूत बनाएँ। अपने फैसले को मजबूत बनाएँ। अपने फैसले पर अटल रहें। अपनी छवि को सकारात्मक बनाएँ-अगर आप तम्बाकू का सेवन छोड़ देते हैं तो यह आपकी जीत है-अपने आपको मुबारकबाद दें और फिर आप देखेंगे कि दूसरे लोग भी आपके नक्शे कदम पर चलेंगे। ध्यान रखें आप हमेशा के लिए तम्बाकू छोड़ें। तम्बाकू सेवन छोड़ने पर कुछ मामूली शारीरिक व मानसिक कठिनाई होती हैं इन कठिनाइयों को दवाइयों एवं समय-समय पर मनोचिकित्सा द्वारा समाप्त किया जा सकता है। इस सप्ताह का समय निश्चित करें और प्रथम दिन से 10 दिन तक निरतंर प्रतिदिन तम्बाकू की मात्रा कम करते जाऐं। अन्तिम 4 दिवस बिल्कुल सेवन ना करें। अपने साथ सौंफ, मिश्री, लौंग या दालचीनी रखें और तम्बाकू के सेवन की तलब होते ही इनका इस्तेमाल करें। तुलसी, अजवायन, कालीमिर्च, दालचीनी, लौंग तथा गुड़युक्त बिना दूध की चाय धीरे-धीरे चुस्की लेकर पियें।

कैंसर हैं या नहीं , निर्णय कैसे लें।

कैंसर का ईलाज जितनी जल्दी शुरू करते हैं, उतना ही नतीजा बेहतर होता है। हकीकत यह है कि कई डॉक्टर भी इस तथ्य को जल्दी स्वीकार करने से डरते हैं कि मरीज को कैंसर होने की आशंका के बारे में कैसे बताएं इसलिए वे तमाम दवा देकर देख लेते हैं, लेकिन कैंसर के टेस्ट के लिए नहीं कहते। जबकि ऐसे तमाम उदाहरण हैं जब -लगातार खांसी, मुंह के छाले, दांतों से लगातार खून आना, ये भी ओरल कैंसर के लक्षण हो सकते हैं और नहीं भी। पेशाब में खून
आना प्रोस्टेट कैंसर का लक्षण हो सकता है। कई बार किडनी में स्टोन की वजह से भी पेशाब में खून आता हैं। शरीर में गांठ जो तेजी से बढ़ रही हो। यहां इस बात का ध्यान रखें कि अमूमन जिन गांठों में दर्द हो, शुरूआत में उनमें कैंसर सेल्स के होने की आशंका कम रहती है। अगर दर्द न हो तो आशंका बढ़ जाती हैं। जैसे अगर किसी महिला के ब्रेस्ट में गांठ है और दर्द भी है तो ऐसा अमूमन हॉर्मोन की परेशानी से ऐसा होता हैं। तेजी से वजन कम होना कैंसर का सबसे विशेष लक्षण है। अगर किसी का वजन 3 महीने में 10 किलो कम हो जाए तो उसे जरूर जांच करानी चाहिए। वैसे ध्यान देने वाली बात यह है कि शुगर और टीवी के मामले में भी कई बार अचानक वजन कम होता हैं। स्प्लीन (पेट में मौजूद इस अंग के कई सारे काम हैं, लेकिन सबसे अहम काम है शरीर की सुरक्षा में भूमिका निभाना) और लिंफनोड (यह शरीर के इम्यून सिस्टम का अहम भाग है। शरीर में मौजूद बैक्टीरिया और वाइरस से लड़ने में मदद करता है)। जाड़े में भी रात में पसीना आता है सचेत हो जांए। हालांकि ऐसा दिल के मरीजों के साथ भी होता हैं। अगर किसी महिला को अपने पार्टनर के साथ संबंध बनाते समय बार-बार ब्लीडिंग हो तो डॉ. से जरूर मिल लें। वैसे, जिस महिला ने किसी के साथ फिजिकल रिलेशन नहीं बनाए हैं, उसमें सर्वाइकल कैंसर का खतरा न के बराबर होता हैं। अगर कोई शारीरिक परेशानी हो रही है और वह बार-बार हो तो यह कतई जरूरी नहीं वह कैंसर हैं। वह कोई दूसरी छोटी-मोटी बीमारी भी हो सकती है। फिर भी सतर्कता जरूरी है।

कैंसर की शुरूआत कैसे होती है ?

मानव शरीर में जब कोशिकाओं के जीन में परिवर्तन होने लगता, तब कैंसर की शुरूआत होती हैं। ऐसा नहीं है कि किसी विशेष कारण से ही जीन में बदलाव होते हैं, यह स्वंय भी बदल सकते हैं या फिर दूसरे कारणों की वजह से ऐसा हो सकता है- गुटका-तंबाकू जैसी नशीली चीजें खाने से, अल्ट्रावॉलेट रे या फिर रेडिएशन आदि इसके लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। ज्यादातर यह देखा गया है कि कैंसर शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता यानि इम्यून सिस्टम की कोशिकाओं को समाप्त कर देता है, परंतु कभी-कभी कैंसर की कोशिकाएं को इम्यून सिस्टम झेल नहीं पाता और व्यक्ति को कैंसर जैसी लाईलाज बीमारी हो जाती हैं। जैसे-जैसे शरीर में कैंसर वाली कोशिकाएं बढ़ती रहती हैं, वैसे-वैसे ट्यूमर यानि एक प्रकार की गांठ उभरती रहती हैं। यदि इसका उपचार सही समय पर न किया जाए तो यह पूरे शरीर में फैल जाता हैं।

गेंहू के ज्वारे ( वीट ग्रास ) का ज्यूस

गेहूँ के ज्वारे का रस ( व्हीट ग्रास ज्यूस )

गेहूँ के ज्वारे के रस को हरा खून भी कहते हैं, इसमें पाये जाने वाले तत्व खून में पाये जाने वाले तत्वों से काफी मिलते हैं। यह शरीर के लिये एक शक्तिशाली टॉनिक की तरह कार्य करता है। इसमें प्रचुर मात्रा में श्रेष्ठ प्रोटीन होता है। इसमें मौसमी और नारियल से भी ज्यादा विटामिन ई एवं मैगनीज पाया जाता है।
कैंसर चिकित्सा में गेहँू के ज्वारे का रस बहुत उपयोगी है, क्योंकि इसमें बीटाकैरोटिन क्लोरोफिल, लाइकोपिन, विटामिन्स (सी, ई) भरपूर मात्रा में मिलते हैं। कैंसर रोधी आहार की समुचित जानकारी रोगी को दिये जाने से रोगी को न केवल सही आहार की उपयोगिता का अंदाजा हो जाता है बल्कि शरीर की रूग्णावस्था, कमजोरी, थकान से भी निजात मिल जाती है। एंटीऑक्सीडेंट मूल रूप से कोशिकाओं की तेज सफाई को सुनिश्चित करते है, जिससे कैंसर से बचने में मदद मिलती है व शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। एंटीऑक्सीडेंट स्वाभाविक रूप से सभी फल-सब्जियों एवं रसों में मिलता है। गेहूँ के ज्वारे के रस (व्हीट ग्रास ज्यूस) में लगभग सभी जीवनरक्षक विटामिन ए, बी, सी और ई तथा लगभग सभी खनिज (कैल्शियम्, पोटेशियम, सेलेनियम, लौह व जिंक), क्लोरोफिल, सभी पाचक तत्व एन्जाइम के रूप में और सभी उर्वरक पोषक तत्वों के साथ प्रोटीन व अमीनो एसिड प्रचुर मात्रा में मिलते हैं।

ओरल कैंसर का आयुर्वेदिक इलाज

What Are the Types & Treatment for Oral Cancer - Yashoda Hospital

 

माउथ कैंसर का आयुर्वे दिक इलाज

मुंह के कैंसर रोगी को सर्वप्रथम यह सलाह दि जाती हैं, की उसे भोजन, फल और अन्य खाने की सामग्री को खाना नहीं हैं। उसे भी लिक्वीड बनाकर पीने की सलाह देता हूं, क्योंकि मुंह के अन्दर घाव बार-बार छिलने से और साफ-सफाई पुरी नहीं होने के कारण घाव में गहरी-गहरी केवेटीज बन जाती हैं। इसके कारण रोगी का कैंसर बढ़ता जाता हैं। माउथ कैंसर के रोगी को मुख कुल्ला औषधी से दिन में 5-6 बार कुल्ला करने की सलाह दि जाती हैं, 2 चम्मच दवा 200 मी.ली. पानी में डालकर 6-7 घण्टे भीगने देने के बाद मिक्सी में ग्राइन्ड करके छान लेने के पश्चात इस पानी का इस्तेमाल कुल्ले के लिए करें। आश्रम की औषधियां रक्तशोधन 6 चम्मच, कैंसर किट 6 चम्मच का काढ़ा बनाकर आयुर्वेदीक कीमों 2 चम्मच चूर्ण शहद के साथ सेवन करने की सलाह दि जाती हैं, उपरोक्त मात्रा में इतनी ही औषधी का सेवन सांय काल भी करना हैं। हरे पत्तों का ज्यूस और हल्दी व गौमूत्र का सेवन प्रातःकाल और सांय काल नियमित रूप से सेवन करें।

Treatment of any stage of cancer disease is possible,

श्री नवग्रह आश्रम पर कैंसर चिकित्सा के दौरान कुछ ध्यान रखने योग्य हैं,

कैंसर रोग की किसी भी स्टेज का उपचार संभव हैं, उपचार में लगने वाला समय रोग की गंभीरता के हिसाब से अलग हो सकता हैं,
किसी अन्य चिकित्सा पद्धति के साथ भी आयुर्वेद का इलाज लिया जा सकता हैं, किंतु एक समय में एक ही चिकित्सा पद्धति श्रेष्ठ रहती हैं।
किमों या किसी भी थैरेपी के बाद भी आयुर्वेद से इलाज संभव हैं।
कैंसर रोग के अलावा यदि किसी अन्य प्रकार की बीमारी जैसे बी.पी., शुगर या दर्द निवारक की दवाईयां चल रही हो तो उन्हें यथावत लेते रहे, एकदम बंद
नहीं करें। इन बीमारियों के लिए भी आश्रम की आयुर्वेदिक औषधीयां लेते हुए अंग्रेजी दवाईयों की मात्रा धीरे-धीरे कम की जा सकती हैं।
नियमित समय पर रोग से संबंधित आवश्यक जाँचे करवातेे रहें।
गौमूत्र, दूध, घी एवं छाछ आदि देशी गाय का ही प्रयोग करें
रोेगी को पूर्ण आराम एवं नींद लेने देें।
रोगी की आयु और शारिरीक स्थिति के अनुसार औषधी की मात्रा को कम किया जा सकता हैं, उदाहरण के लिए यदि उल्टी हो, तो औषधी को 1दिन लिए
बन्द करके फिर से 1 चम्मच से शुरू किया जा सकता हैं, इसके अनुसार किया जा सकता हैं।
7वर्ष से कम वाले को 33ः औषध, 8-14 वर्ष तक 66ः औषध, 14से उपर 100ः औषध मात्रा की खुराक दें।

Cancer treatment method and guideline

 Cancer

For the last Ten years, Shri Navagraha Ashram Seva Sansthan in  Ayurveda medicine, medicinal plantation, medical research and cow service in desi cow breed culture and in treating many incurable diseases like cancer, kidney, sugar, paralysis, epilepsy has become a scientific ayurveda medical institute in whole world by giving great results beyond hope to the patients. The medical team working at the ashram is hardworking, skilled and full of experience. So far, he has provided his successful treatment to almost lakhs of cancer patients and is an inspiration and a light of life hope for peoples. The ashram is completely a service institution, which along with medicine also does the work of providing Ayurveda education to boys and girls according to the education system based on the Gurukul tradition.

Other information related to the working of the ashram:

  • There are 2 hours classes on every Saturday and Sunday in the ashram auditorium aat 8 a.m. for cancer patients and their relatives.
  • in the same way there is a two hours class on every friday at 08.00am in the same auditorium for the kidney and sugur patients and thire relatives.
  • During the classes, the method of taking medicine, causes of cancer, abstinence that should be observed,the need of having faith in treatment,confidence and courage will be explained to the patients. There will be testimonies and talks of the cured people.
  • Cancer patients should reach before 8 am on Saturday and Sunday.
  • It is not necessary to bring the patient along if his/her condition is not good. The relatives of the patient can come.
  • The living collection of 457 types of medicinal plants in Ashram Aushadhi Van is unique and incomparable in the whole of India. For prarabdhjanya diseases including paralysis, epilepsy, insanity, hysteria, cancer (cancerkit, ayurvedic chemo) ashram provides free  medical consultation and medicines.it is also applicable to children below five years of age.
  • The staff of the ashram is always ready to give any kind of ashram related information and help to the patients and their families.A toll free number 8448449569 is available at all times from 8 am to 6 pm. Apart from this, you can also contact on 7665555755 and 7023062755.
  • For latest information about shri navgrah ashram you can always visit Shreenavgrahaashram.org. and also subscribe the channel called ‘Shri Navagraha Ashram’ on YouTube so that you can stay updated.  You can also mail for any queiry on shreenavgrahashram2017@gmail.com.

 Almost all types of diseases like heart disease, kidney (kidney) related diseases, gout,artheritis, paralysis, facial palsy, epilepsy, asthma, knee pain, high blood pressure, low blood pressure (BP), diabetes (sugar),Liver related diseases etc. More than 29 types of diseases are treated with Ayurveda system of medicine in shree navgrah aashram. For all other diseases, patients can get treatment on Fridays from 7 AM to 5 PM. Patients for cancer should come before 8 am on Saturday and Sunday.

Time table and procedure for taking medicine

05:00AM :            Praying for other patients and practicing yoga for oneself.

06:00AM :            10 leaves of  Shyam Tulsi, 10 leaves of sadabahar, 10 leaves of Neem Giloy (Cut a 6 inch stick of Neem Giloy                                 and crush  it and then take it), 5 leaves of Peepal, 25 leaves of Sheesham, 50 grams of Guarpatha (Aloe vera)                     pulp, 20 grams of wheatgrass (wheatgrass) and  10 leaves of Haridwar Tulsi, make a juice of all these and  drink it.

06:45AM :            Ayurveda chemo (2 spoons medicine be taken with 4 spoons honey)

07:30AM :            Take Cancerkit 6 spoons, Raktshodhak 6 spoons and other medicines if you have in your prescription like liver 6 spoons, Cough-khansi  6 spoons, Sciatica 6 spoons, Pardar 6 spoons and to be made decoction(kadha) by  thermos method(boil it then fill it in thermos) by mixing all of  them together.

08:15AM :            In 50ml cow urine, add 5 grams of  turmeric(crushed instant) and give it a boil, filter it and drink it.

09:00AM :            Lick the medicine that has been given to you in prescription (Migraine, Hemoglobin) mixed with honey.

Whenever the patient feels hungry , he can have food/snack after 47 minutes of taking any medicine. and Next medicine can be taken after 47 minutes of meal/snack.

12:00PM :           Only the juice of 6:00AM has to be taken.

06:00PM :            Repet the procedure of 7:30 am.

06:45PM :            In 50ml cow urine, add 5 grams of  turmeric(crushed instant) and give it a boil, filter it and drink it.

07:30PM :            Ayurveda chemo (2 spoons medicine be taken with 4 spoons honey)

Note:-

  • Cancer patients must take all the decoction medicines together. The medicines prescribed with honey can be taken all together mixed with honey.
  • Dosage of medicines can be increased or decreased as per requirement.
  • Cancer patient should take ghee, milk and cow urine of desi/local breed

 Method of making decoction(Kwath)

(1) :- Take Raktshodhan + cancerkit + other medicines (like cough-khansi, kidney, liver etc., whatever are in your prescription.) Mix them all together and make a decoction(kadha/kwath).

(2) First day :-  Take raktshodhan 1 spoon and Cancerkit 1 spoon and other decoction(kadha) medicines which are written in your prescription, take 1-1 spoon of them and boil them in water for 3-4 minutes.

(3) Put the boiling medicine in a hot thermos and cover it. After 12 hours, filter the decoction/kadha and drink it sip-sip within an hour.

(4) :- Increase the quantity of Raktshodhan + cancerkit 1 spoon/daily  till sixth day and other medicines 1 spoon/daily  till the third day. thereafter  the patient should not increase the quantity  of medicine till the recovery.

(5) :- Before filtering the medicine, boil it once more.

(6) :- The quantity of water can be kept 75 ml  / 1 spoon of medicine. For example-750 ml is to be kept for 10 spoons of medicine.

Things to note: (1) A decoction/kadha can be drunk slowly for 1 hour.                            

 (2) There should be a gap of 47 minutes in all these activities of  food, snacks, decoction,medicine.

 Important things to keep in mind regarding cancer and its treatment

Cancer  is also known by the names karkra and arbud. Although this disease also looks like other diseases,it does not have virus and bacteria, yet it is  terrifying. In cancer disease, some negative cells form a group and take the form of a lump or their uncontrolled growth appears in the form of various types of cancer in the body. According to Ayurveda there are three types of cancer: blood cancer, flesh cancer and bone cancer.

Although there are thousands of reasons for getting cancer, the main reasons known so far are heriditary, excessive use of chemicals, fertilizers and pesticides which go into the body through food, non-vegetarian foods, smoking, alcohol consumption, junk food and industrial pollution. So one should try to avoid them. All the patients and their families who come to the ashram for treatment are told in full detail the method and time table of taking medicines.

 Some other general things to keep in mind during treatment

  • Treatment of any stage of cancer is possible, the time taken for treatment may vary according to the severity of the disease.
  • Ayurveda can be treated with any other system of medicine, but only one system of medicine at a time is best.
  • Treatment with Ayurveda is possible even after chemotherapy or any therapy.
  • In addition to cancer, if any other type of disease’s medicine like BP, sugar or painkillers are going on, then keep taking them as they are, do not stop them completely. For these diseases also, by taking Ayurvedic medicines of the ashram, the quantity of English medicines can be reduced and stopped gradually.
  • Get the necessary tests related to the disease done on regular time.
  • Use only desi/local breed cow’s (Gir, Saiwal, Haryanvi, Rathi etc.) like cow urine, milk, ghee and buttermilk.
  • Allow the patient to have complete rest and sleep.
  • The amount of the drug can be reduced on the age and physical condition of the patient, for example, if there is more vomiting and diarrhea, the medicine can be stopped for 1 day and started again with one spoon, it can be done according to the capacity of the patient.
  • If the patient is less than 10 years, give half the dose

 The special things to note about the diet of a cancer patient

Dietary habits play an important role in any type of disease. What should be avoided and what should be taken in the diet will be told by the doctor to the patient and his family. In relation to cancer, it is advisable to take certain types of diet, which is explained to you in detail at the ashram. Its speciality  is that the cancer patient should not be given simple food (ordinary grains and pulses). Cancer patient has to use only those food items which we normally use in fasting. Ordinary grains contain many types of proteins and other components that remain in our body and weaken our natural immune system which has the ability to fight diseases. (WBC means white blood cells) and kills their T cells and feed cancer cells to help them grow more powerfully. This has been proved recently by the discovery of the 2018 Nobel Prize in Medicine. Keeping this in mind, Pavtan Arogya Aahar which is an affiliate of Shri Navagraha Ashram, has prepared a special type of diet for cancer patients, which has all the essential nutrients according to ancient Ayurveda and modern medicine and which cures diseases. It gives the body the ability to fight and along with the medicine, prevent the disease from progressing and help it to recover quickly. Pavatan Arogya diet mainly consists of Rajgira, Kuttu, Singhada, Sava and moong along with it and are used in fasting and play an important role in curing cancer disease. For more information related to this, you keep visiting Pavtan’s website www.pavtan.com from time to time, as this  provides you with new information all the time.

Pavatan’s valuable discovery for cancer patients Cookies (Biscuit) Components – Pavatan flour, mishri, cow’s ghee, cardamom and desi cow’s milk.

A Cancer patient can use all types of green vegetables, small amounts of chili, spices, raw Ghani oil, products made from milk and all types of fruits, dry fruits in which there is Munnaka (seeded grape vine) should be taken specially. .

White salt and white sugar are to be completely prohibted. instead of which you can use rock salt, black salt, sugar candy, jaggery and brown sugar. Potatoes, green peas, green corn and green gram can be eaten. Ghee, milk, butter, cow urine can be consumed,but only from a desi breed. If you do not get a virgin heifer, you can take the urine of the mother cow.

 Method of making Ghee ointment to cure cancer lumps and wounds Take Two leaves of Ratanjot, 2 long leaveas of bacayan, 5 leaves of Neemgiloy, 1 leaf of native castor plant, 5 leaves of Tambesar (Vidhara), 5 leaves of small kathri, twig with 6 inch leaves of Kaner yellow/red, 1 spoon turmeric powder, 1 spoon coffee powder, 10 grams of marigold flower powder wet or dry (note- take any 4 or 5 types of green leaves) and 100 grams including Guvarpatha (Aloe vera peel) and cut all these leaves into fine pieces and put it in 1 liter of water. Boil it till it remains 700 ml. In this boiled water, add 250ml ghee slowly and boil it on low flame. At the time of boiling, when the quantity of water is exhausted (the sound of irritability stops), filter it and throw wastage solid part  away . After cooling apply it on the lump and the  wound. Patients who have sores on the tongue,  in the jaw, on the palate in the mouth, keep this mixture in the mouth for 4-5 minutes and spit it out after rinsing well. Note:- for applying the ointment at night, dip a cotton cloth or cotton in the ointment and apply it on the wound or lump.

Note :- Patients who have wounds must  take care of hygiene and clean it properly with Povidone-iodin and keep it open for 3 to 4 hours a day and for quick healing of wound use antibiotics with the doctor’s advice.

 Medicine for vomiting:-

  1. Take 5 leaves of green mint, 5 leaves of green basil/tulsi, 5 drops of lemon juice, 1 clove. after crushing them all give to the  patient to take it with cold water or honey in an interval of two hours.
  2. Take 5 ml of ginger in lemon grass (green tea). Mix the juice and drink it thrice a day.

Medicine for diarrhea :-

  1. Take 5 ml of ginger(1 spoon juice) dissolved in 1 cup of hot water and drink it 3 times in a day.
  2. Take 100 grams of fennel/saunf + 100 grams of coriander/dhaniya and roast it in half the quantity i.e. 50-50 grams on a pan, finely grind both rosted and raw coriander and saunf together. Take 5 grams (one teaspoon) of the medicine mixed with cold water . Drink them after an interval of 2 hours. 

Medicine for constipation:

In the above medicine, take 5 grams of rock salt and carom/ajwain seeds and half a gram asafoetida/hing, 100 grams of fennel/saunf, 100 grams of coriander/dhaniya, both in half. • Roast 50 grams coriander, 50 grams fennel in a pan. Make a powder by mixing both roasted and raw and grind them. And in this medicine, mixing one spoon of carom/ajwain seeds, half a spoonful of black salt and 2 pinches of asafetida with hot water, they get rid of constipation and gas. 

Most of the fluctuations in the blood of cancer patients, hemoglobin, platelets keep getting less and more, you should make this juice for them, it is very beneficial :- • 5 leaves of giloy ● 5 leaves of gular • 5 leaves of peepal • half of papaya Leaf • Hibiscus/gudhal flowers 6-7 (in case of no flowers, 10 fresh leaves of hibiscus plant can be used), 30-35 leaves of sahjan/moringo, grind all these well in a grinder and make juice and give it to the patient. There is a lot of benefit, if there is a high deficiency of hemoglobin in the blood, the quantity of fresh flowers and leaves of hibiscus should be increased.

Note: – If the hemoglobin content of the patient is less than 8.5, go to a dispensary or a hospital for blood transfusion.

 

Pavtan Pavtan
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