क्या ब्लड यूरिया एवं क्रिएटिनिन का आयुर्वेदिक दवा में कोई सटीक उपचार है?

आजकल की भागदौड़ भरी जिन्दगी में हम अपना ख्याल नहीं रख पाते हैं, और न चाहते हुए भी किसी न किसी शारीरिक समस्या से ग्रसित हो जाते हैं। इनमें कुछ समस्याएं ऐसी होती हैं जो स्वत: ठीक हो जाती हैं, लेकिन कुछ ऐसी समस्याएं भी होती हैं, जिन पर अगर समय रहते ध्यान नहीं दिया जाए तो ये गंभीर हो सकती हैं।

ऐसी ही एक शारीरिक समस्या या विकार का नाम है ब्लड यूरिया एवं क्रिएटिनिन का बढ़ जाना! आज के इस आर्टिकल में हम इसी के बारे में जानेंगे।

क्रिएटिनिन क्या है?

क्रिएटिनिन एक रासायनिक अपशिष्ट है, जो हमारी मांसपेशियों की गतिविधि के दौरान क्रिएटिन नामक यौगिक के टूटने से बनता है। इसे मुख्यतः किडनी द्वारा रक्त से फिल्टर किया जाता है और मूत्र के माध्यम से शरीर से बाहर निकाला जाता है। यह प्रत्येक व्यक्ति के खून में पाया जाता है। हमारे खून में क्रिएटिनिन की मात्रा स्थिर रहती है। अगर यह बढ़ जाए तो किडनी को खराब कर सकता है।

सामान्य क्रिएटिनिन का स्तर कितना होता है?

जानकारी के अनुसार पुरुषों में यह लगभग 0.6 से 1.2 मिलीग्राम/डीएल (मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर) होना चाहिए। महिलाओं में यह लगभग 0.5 से 1.1 मिलीग्राम/डीएल होता है।

ब्लड यूरिया क्या है?

ब्लड यूरिया (Blood Urea) एक महत्वपूर्ण जैविक पदार्थ है, जो खून में पाया जाता है। यह यूरिया नामक यौगिक का हिस्सा होता है, जो प्रोटीन के मेटाबोलिज्म के दौरान लीवर में बनता है। यूरिया खून से किडनी द्वारा फिल्टर होकर मूत्र के माध्यम से शरीर से बाहर निकलता है।

किडनी में ब्लड यूरिया कितना होना चाहिए?

किडनी की सामान्य कार्यक्षमता के लिए रक्त में यूरिया का स्तर एक निश्चित सीमा के भीतर होना चाहिए। यह स्तर व्यक्ति की उम्र, आहार, स्वास्थ्य स्थिति और अन्य कारकों पर निर्भर कर सकता है। सामान्यतः, रक्त यूरिया नाइट्रोजन (Blood Urea Nitrogen, BUN) का स्तर निम्नलिखित होता है:

सामान्य ब्लड यूरिया नाइट्रोजन (BUN) स्तर:

वयस्क: 7 से 20 मिलीग्राम/डेसीलीटर (mg/dL)
बच्चे: 5 से 18 मिलीग्राम/डेसीलीटर (mg/dL)

क्रिएटिनिन और यूरिया में क्या अंतर है?

क्रिएटिनिन और यूरिया दोनों ही शरीर के अपशिष्ट हैं, जो विभिन्न मेटाबोलिक प्रक्रियाओं के परिणामस्वरूप उत्पन्न होते हैं और मुख्यतः किडनी द्वारा रक्त से फिल्टर किए जाते हैं। हालांकि, इन दोनों के उत्पादन, कार्य और महत्व में कुछ अंतर जरूर होता है।

ब्लड यूरिया बढ़ने के लक्षण

बार-बार पेशाब आना।
उल्टी आना।
भूख की कमी।
कमजोरी महसूस होना।
ब्लड प्रेशर का बढ़ना या कम होना।
कमजोरी एवं थकान होना आदि।

क्रिएटिनिन बढ़ने के लक्षण

थकान महसूस होना।
अनियमित हार्ट रेट।
मतली और उल्‍टी।
सांस लेने में तकलीफ।
मांसपेश‍ियों में दर्द होना।

ब्लड यूरिया एवं क्रिएटिनिन कम करने का आयुर्वेदिक उपचार क्या है?

आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली में ब्लड यूरिया और क्रिएटिनिन के स्तर को नियंत्रित करने के लिए कुछ उपचार बताए गए हैं। हम आपको कुछ ऐसी जड़ी बुटियों के बारे में ​बताएंगे, जिनका उपयोग ब्लड यूरिया और क्रिएटिनिन को कम करने में सहाय​क हो सकता है।

गोखरू (Tribulus terrestris): गोखरू किडनी फंक्शन को सुधारने में सहायक होता है, और यूरिनरी सिस्टम को मजबूती प्रदान करता है।

पुनर्नवा (Boerhavia diffusa): पुनर्नवा का आयुर्वेद में बहुत महत्व है, यह किडनी की सफाई और उन्हें स्वस्थ रखने में मदद करता है। यह ब्लड यूरिया और क्रिएटिनिन के स्तर को कम करने में भी सहायक है।

गिलोय (Tinospora cordifolia): गिलोय एक इम्यून बूस्टर है और किडनी फंक्शन को सुधारने में मददगार माना गया है।

वरुण (Crataeva nurvala): वरूण किडनी स्टोन और यूरिनरी डिसऑर्डर्स के इलाज में उपयोगी है, और किडनी की कार्यप्रणाली में भी सुधार करता है।

चंद्रप्रभा वटी: यह आयुर्वेदिक दवा कई जड़ी बुटियों का मिश्रण होती है, और किडनी की कार्यक्षमता को सुधारने में सहायक है।

त्रिफला: त्रिफला का सेवन पाचन तंत्र को सुधारने और शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है।

नीम और हल्दी: नीम और हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीसेप्टिक गुण होते हैं, जो शरीर के विभिन्न अंगों की कार्यक्षमता को सुधारने में सहायक हैं।

ब्लड यूरिया एवं क्रिएटिनिन नियंत्रित रखने के सामान्य उपाय?

  • नमक और प्रोटीन का सेवन सीमित करें।
  • पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं।
  • धूम्रपान और शराब से बचें।
  • योग और प्राणायाम करें।
  • स्वस्थ एवं संतुलित आहार का सेवन।
  • दवाओं का सीमित उपयोग आदि।

इस आर्टिकल में आपने ब्लड यूरिया एवं क्रिएटिनिन के बारे में विस्तार से जाना। यह आर्टिकल इस समस्या से संबंधित जानकारी के लिए लिखा गया है। अगर आप उपरोक्त समस्या से ग्रसित है, तो चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें।

Pavtan Pavtan
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